2012 में मिली थी जानकारी
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार समुद्री फॉसिल्स आमाखेरवा में होने की जानकारी वर्ष 2012 में मिली थी। कोरिया वन विभाग के अधिकारियों ने इसकी जानकारी मुख्यालय को दी और बीरबल साहनी इंस्टीटयूट ऑफ पैलियो बॉटनी लखनऊ के विशेषज्ञों से सलाह ली। इंस्टीटयूट ने 2015 में फॉसिल्स की जांच करने के लिए वैज्ञानिक भेजे तो पता चला, कि 25 करोड़ साल पुराना फॉसिल्स है। इसकी जानकारी होने पर वन विभाग के अधिकारियों ने 2015 में फॉसिल्स वाले हिस्सों को घिरवा कर हेरिटेज के रुप में विकसित कर दिया। राज्य सरकार के निर्देश पर अब पार्क के रुप में डेव्हलप करके उसे प्रदेश की पहचान बनाने की तैयारी की जा रही है। प्रस्तावित पार्क हसदेव और हसिया नदी के संगम पर करीब 1 किलोमीटर क्षेत्र में विकसित किया जाएगा।
ये जीवाश्म मिले
शहर के आमाखेरवा इलाके के पास हसदेव नदी के बीच करीब एक किलोमीटर का क्षेत्र समुद्री जीवों और वनस्पतियों के जीवाश्म से भरा हुआ है। इस क्षेत्र में बाइवाल्व मोलस्का, युरीडेस्मा और एवीक्युलोपेक्टेन आदि समुद्री जीवों के जीवाश्म मौजूद हैं। इनके अलावा पेलेसिपोड्स, गैस्ट्रोपोड्स, ब्रेकियोपोड्स, ब्रायोजोअन्स और क्रिनएड्स प्रजाति के जीव भी हैं।
क्या है फॉसिल्स
फॉसिल्स से तात्पर्य वह समुद्री जीव जंतु है जो करोड़ो वर्ष पहले यहां लहराते समुद्र में रहते थे, तथा प्राकृतिक परिवर्तन एवं पृथ्वी के पुर्ननिर्माण में समुद्र के हटने पर उन जीवों के अंश पत्थरों के मध्य दबकर यथावत रह गए थे। फॉसिल्स पृथ्वी के परिर्वतन के वैज्ञानिक साक्ष्य है।
देश में चार जगह हैं ऐसे जीवाश्म
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार जिस तरह का फॉसिल्स मनेंद्रगढ़ में है। उस तरह का फॉसिल्स भारत में सुबांसरी (अरुणाचल प्रदेश), राजहरा (झारखंड), दार्जिलिंग (पश्चिम बंगाल) और खेमगांव (सिक्किम) में पाया जाता है। फॉसिल्स को यहां की सरकार ने अपने स्तर पर संरक्षित किया है।
फॉसिल्स पार्क का निर्माण करने की स्वीकृति दी है। 21 मार्च को विश्व वानिकी दिवस के अवसर पर सीएम भूपेश बघेल पॉर्क की नीव रखेंगे। पार्क के निर्माण में कलकत्ता और रायपुर के एक्सपर्ट की मदद ली जाएगी।
– राकेश चर्तुवेदी, पीसीसीएफ, वन विभाग