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इसलिए उद्यानिकी विभाग का कहना है, कि यह किस्म छह से आठ महीने में तैयार होकर फल देने लगता है। यह किस्म रोग प्रतिरोधक है, इसलिए ज्यादा नुकसान नहीं होता। (cg news in hindi) आम किस्म के अलावा इस किस्म का सक्सेस रेट ज्यादा है। बेंगलूरु के किसानों को इससे सफलता मिली है। प्रदेश के किसान इसे अपने खेतों में लगाएंगे, तो उन्हें भी सफलता मिलेगी।IT Raid : घोटालेबाजों के 13 ठिकानों पर आईटी का छापा, 50 करोड़ के घोटाले का हुआ खुलासा, खास दस्तावेज जब्त
अभी दे रहे बीज, अगले साल से मिलेगा पौधा उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अर्का प्रभात किस्म का बीज बैंगलोर से लाकर उद्यानिकी विभाग की नर्सरियों में उसको तैयार किया जा रहा है। (chhattisgarh news) प्रदेश के किसानों को अभी रायपुर के कृषि विज्ञान केंद्रों से बीज मिल जाएगा। किसानो को यदि अर्का प्रभात किस्म का पौधा चाहिए, तो उन्हें अभी एक साल तक इंतजार करना होगा।CG Election 2023 : कांग्रेस की पोल खोलने BJP ने बनाया यूट्यूब चैनल, अब सोशल मीडिया के सहारे दे रहे घटालों का अपडेट
फल का वजन 900-1200 ग्रामउद्यानिकी विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अर्का प्रभात किस्म उभयलिंगी प्रकृति की किस्म है। इसके पादपों में अर्द्ध-औज होता है। कम लंबाई (60-70 से. मी.). पर ही इसमें फल आना शुरू हो जाता है। चूंकि यह उभयलिंगी है। इसलिए इसका बीज-उत्पादन करना आसान है।(cg news in hindi) इसका गूदा ठोस (5.9 कि. ग्रा. प्रति वर्ग से. मी.) और रंग गहरा गुलाबी होता है। इसके फल का औसतन वजन 900-1200 ग्राम होता है। इसकी टिकाऊपन और गुणवत्ता अच्छी है।