अंबिकापुर. नेहरू जयंती पर स्कूल में लगाए गए स्टॉल से मिले रुपए को चार माह तक सहेज कर रखने के बाद बच्चों ने आश्रय गृह में अनाथ बच्चों के बीच खर्च कर समाज के लिए एक मिसाल पेश की है। जिन बच्चों ने स्टॉल लगाया था, वे सभी संपन्न घर के हैं, चाहते तो स्वयं पर भी इस रकम को खर्च कर सकते थे। लेकिन इतनी कम उम्र में समाज सेवा की इस तरह की भावना तो बड़ो में भी देखने को नहीं मिलती है। बच्चों के आदर्श चाचा नेहरू के जयंती पर शहर से लगे एक निजी स्कूल के कक्षा सातवी में पढऩे वाली आठ छात्राओं ने स्टॉल लगाया था। स्टॉल से उन्हें 416 रुपए का लाभ हुआ था। बच्चों के मन में हमेशा यह जिज्ञासा बनी रहती थी कि इसे कहां खर्च करें। बच्चों को समझ में नहीं आ रहा था। सभी बच्चे स्कूल आने के बाद हर दिन इस संबंध में चर्चा भी की जाती थी। गुरूवार को इसमें से एक छात्रा प्रज्ञा मिश्रा भट्टी रोड स्थित वसुंधरा जनकल्याण समिति के आश्रय गृह में छोटे-छोटे बच्चों को कमरें में बंद देख आस-पास के लोगों से चर्चा की। आश्रय गृह के कर्मचारियों ने बताया कि यहां ऐसे बच्चों को रखा गया है, जिनके माता-पिता का पता नहीं है या फिर बच्चे अनाथ हैं। सहेलियों ने दी सहमति आश्रय गृह में रहने वाले बच्चों की मदद करने की इच्छा प्रज्ञा ने स्कूल में जाकर अपनी साथियों को बताया। सभी की सहमति बनने के बाद उन्होंने अपनी इच्छा से कक्षा शिक्षिका को अवगत कराया। शुक्रवार को कक्षा शिक्षिका के साथ सभी छात्राएं आश्रय गृह पहुंची और बच्चों के मदद के लिए हाथ बढ़ाया। उन्होंने चार माह से सहज कर रखे गए 416 रुपए से उनके लिए बिस्किट, फल, मिठाई व चाकलेट खरीदा। परिजनों ने भी की मदद सभी बच्चियां संपन्न परिवार से थे। सहयोग करने में रकम कम पडऩे पर उन्होंने अपने परिजन से भी रुपए लेकर बच्चों की मदद की। इतनी कम उम्र में समाज सेवा की जो भावना बच्चों में दिखाई दी, वह आज बड़ों में भी नहीं दिखाई देती है। सहयोग करने के दौरान उनकी शिक्षिका संध्या त्रिपाठी भी मौजूद थी। इस दौरान सहयोग करने वाली छात्रा प्रज्ञा मिश्रा, ऋतु पाठक, क्लासिका तिवारी, मानसी चौरसिया, श्रृष्टी गुप्ता, सुभांगी माथुर, प्रज्ञा ठाकुर, गुंजन जायसवाल ने अपने हाथो से बच्चों को सामग्रियां वितरीत किया। बच्चों ने बताया कि इससे उन्हें काफी सकुन मिला। बच्चे चाहते तो जमा रकम को अपने ऊपर खर्च कर सकते थे।