डीकेएस में न्यूरो सर्जन ऐसी बीमारी का इलाज करते रहते हैं। वर्टेब्रल कंप्रेशन में रीढ़ की हड्डी एक तरह से टूट जाती है या दब जाती है। स्पाइन के कैंसर की बीमारी में भी (Ambedkar Hospital) कंप्रेशन फ्रैक्चर हो जाता है। डॉक्टरों के अनुसार उम्र बढ़ने के साथ हड्डियां कमजोर हो जाती हैं।
ऐसे में हल्की चोट से भी यह दिक्कत हो जाती है। यह बीमारी या समस्या ज्यादा दिन तक रहने पर स्पाइनल कैनाल के अंदर स्थित स्पाइनल कॉड को दबा देती है। इससे कमर के नीचे का हिस्सा काम करना बंद कर देता है और मरीज को लकवा हो जाता है।
डॉक्टरों ने बताया कि महिला को डी (डॉर्सल)12 वर्टेब्रल फ्रेैक्चर था। इसके कारण पिछले 9 महीने से असहनीय दर्द के कारण परेशान थी और एक महीने से वह बैठ नहीं पा रही थी। सुई की छेद से की गई पूरी प्रक्रिया के बाद महिला आधे घंटे के बाद बैठने में समर्थ हो गई और उसे उसी दिन डिस्चार्ज कर दिया गया।
प्रोसीजर के बीच तीन मिनट बेहद अहम होते हैं। जब पॉलीमेथिल मेथाक्रिलेट यानी बोन सीमेंट को तैयार कर तीन मिनट के भीतर ही इंजेक्ट करना रहता है। इसमें देरी की गई तो बोन सीमेंट बाहर के वातावरण में तुरंत ठोस अवस्था में परिवर्तित हो जाता है और जिस स्थान पर है, वहीं जम जाता है। इसीलिए बोन सीमेंट (Ambedkar Hospital) को प्रोसीजर से पहले फ्रिज के अंदर बेहद कम तापमान में रखा गया, जिससे कि बॉडी में इंजेक्ट करने के दौरान वह देरी से जमे।
Ambedkar Hospital: इलाज करने वाली टीम में ये
रेडियोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. विवेक पात्रे, न्यूरोसर्जन डॉ. मनीष टावरी, एनेस्थेटिस्ट डॉ. प्रतिभा जैन एवं डॉ. वृतिका, रेसीडेंट डॉ. पूजा कोमरे, डॉ. मनोज मंडल, डॉ. प्रसंग श्रीवास्तव, डॉ. घनश्याम वर्मा, डॉ. लीना साहू, डॉ. नवीन कोठारे, डॉ. सौया, डॉ. अंबर, रेडियोग्राफर नरेश साहू, जितेंद्र प्रधान, नर्सिंग स्टाफ ऋचा एवं यश शामिल रहे।