यह भी पढ़ें: Doctors Strike in CG: कोलकाता रेप-मर्डर केस: AIIMS के डॉक्टर उतरे सड़क पर, बढ़ी मरीजों की परेशानी, देखें वीडियो महादेवघाट निवासी 52 वर्षीय धरम साहू को न्यूरो संबंधी समस्या है। परिजनों ने उन्हें 2 सितंबर को एम्स में भर्ती कराया। उन्हें इमरजेंसी विभाग में रखा गया। 3 सितंबर की सुबह बेड खाली नहीं होने का हवाला देते हुए डॉक्टरों ने उन्हें डिस्चार्ज कर दिया। मरीज डिस्चार्ज न कर, दूसरे वार्ड में भेजने की गुहार लगाते रहे, लेकिन डॉक्टरों ने एक न सुनी। जबरिया डिस्चार्ज कार्ड भी बना दिया गया।
‘पत्रिका’ के पास डिस्चार्ज कार्ड की फोटो कॉपी है। इसमें रिफर्ड ऑन की तारीख 3 सितंबर है और अग्रवाल अस्पताल नाम लिखा गया है। खास बात ये भी मरीज को डिस्चार्ज होने के पहले अग्रवाल अस्पताल का फोन भी आ गया कि मरीज को ला रहे हैं न। इससे परिजनों का माथा ठनका और हतप्रभ भी रह गए। निजी अस्पताल का फोन आने का मतलब ये है कि इमरजेंसी विभाग में सेवा दे रहे कोई डॉक्टर का कनेक्शन निजी अस्पताल से है और डिस्चार्ज कर मरीजों को वहां भेजने की जानकारी दे रहा है।