हालांकि ऐसा होने की संभावना नहीं के बराबर है। हैल्थ साइंस विवि भी नियमित व अनियमित बैच की परीक्षा एक साथ लेता रहा है। प्रदेश में बीएससी की 2960 सीटें खाली हैं। सभी सीटें निजी कॉलेजों की है, जहां ज्यादातर कॉलेजों में सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है। आईएनसी ने सबसे पहले 31 अक्टूबर, फिर 30 नवंबर तक प्रवेश की तारीख बढ़ाई थी। तब उन्होंने डीएमई को पत्र लिखकर सत्र में देरी का हवाला देते हुए फिर से प्रवेश के लिए तारीख बढ़ाने से इंकार कर दिया था। फिर अचानक सवा दो माह बाद 29 फरवरी तक प्रवेश की मंजूरी दे दी है।
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हालांकि चिकित्सा शिक्षा विभाग ने अभी खाली सीटों को भरने के लिए काउंसिलिंग का शेड्यूल जारी नहीं किया है। विशेषज्ञों ने सवाल उठाया है कि अक्टूबर, नवंबर में प्रवेश ले चुके छात्र-छात्राओं के साथ अभी प्रवेश लेने वाले कैसे कोर्स की बराबरी करेंगे। गौरतलब है कि अक्टूबर में प्रवेश की तिथि बढ़ने के बाद कुछ मामलों को लेकर निजी नर्सिंग कॉलेज एसोसिशन में घमासान मचा था। तब तत्कालीन अध्यक्ष को हटा दिया गया था। नए सिरे से कार्यकारिणी का गठन किया गया है। बताया जाता है कि पुराने अध्यक्ष ने एसोसिएशन का पैसा कुछ कांग्रेस नेताओं को दे दिया था। इस पर पदाधिकारियों ने विरोध जताते हुए कई सवाल उठाए थे। इसके बाद उन्हें अध्यक्ष पद इस्तीफा देना पड़ा था। जीरो परसेंटाइल से प्रवेश की मांग प्रवेश की आखिरी तारीख बढ़ने के बावजूद खाली सीटें नहीं भर पाएंगी, अगर प्रवेश का नियम 50 परसेंटाइल हो। दरअसल पिछली बार शासन ने जीरो परसेंटाइल से एडमिशन देने से मना कर दिया था। तब करीब 3700 के आसपास सीटें खाली थीं। 40 व 50 परसेंटाइल से प्रवेश देने पर करीब 700 सीटें ही भर सकीं। निजी कॉलेज संचालक चाहते हैं कि इस बार जीरो परसेंटाइल से एडमिशन दिया जाए ताकि खाली सीटें भर सके।
जीरो परसेंटाइल से एडमिशन के बारे में शासन निर्णय लेगा। खाली सीटों को भरने के लिए आईएनसी ने तारीख बढ़ाई है। – डॉ. विष्णु दत्त, डीएमई
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