बता दें कि ये पूरा विवाद छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा परसा खनन परियोजना के लिए 841.538 हेक्टेयर वन भूमि की स्वीकृति दिए जाने के बाद शुरू हुआ था। राज्य सरकार ने 6 अप्रैल को इसकी स्वीकृति जारी की थी।
इस परियोजना का विरोध कर रहे सामाजिक कार्यकर्ताओं ने दावा किया कि परसा खनन परियोजना के कारण लगभग 700 लोग विस्थापित होंगे और लगभग 840 हेक्टेयर घने जंगल नष्ट हो जाएंगे। उन्होंने आगे कहा कि वन विभाग की 2009 की जनगणना के अनुसार, लगभग 95,000 पेड़ों के काटे जाने की उम्मीद थी, लेकिन 2022 में पेड़ों की संख्या लगभग 2 लाख होगी।
लोगों ने वीडियो पर दिए ये रिप्लाई
इसके जवाब में कई लोगों ने वीडियो पर #हसदेवबचाओ लिखते हुए रिप्लाई दिया कि अडानी ग्रुप जनता और मीडिया को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है। एक ट्विटर यूजर ने लिखा ‘अगर ये विकास है तो कृपया हमें बख़्श दो ऐसे विकास से’, तो वहीं दूसरे का कहना था ‘इतिहास गवाह है की जंगल (पेड़-पौधे) काट कर किसी ने आज तक इस धरती का भला नहीं किया है।‘
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है #savehasdeo
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे इंस्टाग्राम और टि्वटर पर #हसदेवबचाओ और #savehasdeo जैसे हैशटैग्स वायरल हो रहे हैं। दरअसल केंद्र सरकार भारत में कोयला खनन का विस्तार करना चाहती है और अधिकांश नव खनन क्षेत्र आदिवासी भूमि पर हैं, जिनमें से एक हसदेव भी है। पर्यावरण और सामाजिक कार्यकर्ताओं का दावा है कि क्षेत्र में नियोजित खनन परियोजनाओं के लिए 841 हेक्टेयर जंगल में फैले 200,000 से अधिक पेड़ों को काटना होगा। सरकार के इस फैसले से जनता में काफी आक्रोश उत्पन्न हो रहा है।