रायपुर

अडानी ग्रुप ने हसदेव में हो रहे पेड़ों की कटाई को दिया विकास का नाम, लोग कहने लगे हमें ऐसे विकास से बख़्श दो

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक वीडियो साझा करते हुए अडानी ग्रुप ने हसदेव में हो रहे पेड़ों की कटाई और खनन को विकास का मार्ग बताया। लोगों ने ट्विटर पर वीडियो का रिप्लाई करते हुए कहा अगर ये विकास है, तो कृपया हमें बख़्श दो ऐसे विकास से।

रायपुरMay 18, 2022 / 11:20 pm

CG Desk

save hasdeo source social media

रायपुर. मंगलवार 17 मई को अडानी समूह ने सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर एक वीडियो जारी किया है और कहा है कि हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयला खदानों को खोलना विकास, शिक्षा और रोजगार का मार्ग है।

जानिए क्या है #कहानीबदलावकी
वीडियो में ‘एक #कहानीबदलावकी’ का कैप्शन डालकर परसा गांव में हो रही उन्नति का उदाहरण देते हुए लोगों से आग्रह किया जा रहा है कि वे विकास का रास्ता ना रोकें। बता दें कि परसा, अंबिकापुर तहसील में छत्तीसगढ़ राज्य के सरगुजा जिले का एक गाँव है।

परसा गांव में पहले ही कट चुके हैं सैकड़ों पेड़
अडानी ग्रुप ने जो वीडियो जारी किया है उसमें परसा गांव का जिक्र है जहां छत्तीसगढ़ वन विभाग ने सरगुजा जिले की परसा कोयला खनन परियोजना की शुरुआत का मार्ग प्रशस्त करने के लिए पेड़ों की कटाई शुरू कर दी है। सैकड़ों पेड़ पहले ही काटे जा चुके हैं। स्थानीय ग्रामीण इस बात का कड़ा विरोध कर अधिकारियों से अपनी कार्रवाई रोकने की मांग कर रहे हैं।

बता दें कि ये पूरा विवाद छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा परसा खनन परियोजना के लिए 841.538 हेक्टेयर वन भूमि की स्वीकृति दिए जाने के बाद शुरू हुआ था। राज्य सरकार ने 6 अप्रैल को इसकी स्वीकृति जारी की थी।

इस परियोजना का विरोध कर रहे सामाजिक कार्यकर्ताओं ने दावा किया कि परसा खनन परियोजना के कारण लगभग 700 लोग विस्थापित होंगे और लगभग 840 हेक्टेयर घने जंगल नष्ट हो जाएंगे। उन्होंने आगे कहा कि वन विभाग की 2009 की जनगणना के अनुसार, लगभग 95,000 पेड़ों के काटे जाने की उम्मीद थी, लेकिन 2022 में पेड़ों की संख्या लगभग 2 लाख होगी।

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लोगों ने वीडियो पर दिए ये रिप्लाई
इसके जवाब में कई लोगों ने वीडियो पर #हसदेवबचाओ लिखते हुए रिप्लाई दिया कि अडानी ग्रुप जनता और मीडिया को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है। एक ट्विटर यूजर ने लिखा ‘अगर ये विकास है तो कृपया हमें बख़्श दो ऐसे विकास से’, तो वहीं दूसरे का कहना था ‘इतिहास गवाह है की जंगल (पेड़-पौधे) काट कर किसी ने आज तक इस धरती का भला नहीं किया है।‘

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सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है #savehasdeo
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे इंस्टाग्राम और टि्वटर पर #हसदेवबचाओ और #savehasdeo जैसे हैशटैग्स वायरल हो रहे हैं। दरअसल केंद्र सरकार भारत में कोयला खनन का विस्तार करना चाहती है और अधिकांश नव खनन क्षेत्र आदिवासी भूमि पर हैं, जिनमें से एक हसदेव भी है। पर्यावरण और सामाजिक कार्यकर्ताओं का दावा है कि क्षेत्र में नियोजित खनन परियोजनाओं के लिए 841 हेक्टेयर जंगल में फैले 200,000 से अधिक पेड़ों को काटना होगा। सरकार के इस फैसले से जनता में काफी आक्रोश उत्पन्न हो रहा है।

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