ट्रेड यूनियनों इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, एसईडब्ल्यूए, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ, यूटीयूसी सहित विभिन्न संघों और फेडरेशनों ने पिछले साल सितंबर में आठ जनवरी, 2020 को हड़ताल पर जाने की घोषणा की थी। बैंक कर्मचारी और अधिकारियों के बैंक हड़ताल में शामिल होने से बैंकिंग सेवाओं पर काफी असर पड़ सकता है। बुधवार को बैंकों की कई शाखाएं बंद रह सकती हैं, क्योंकि बैंक यूनियनों ने कर्मचारियों को चाबियां स्वीकार नहीं करने को कहा है। इसको लेकर कई स्थानों पर एटीएम सेवाएं भी प्रभावित हो सकती हैं, लेकिन नेट बैंकिंग सामान्य रूप से कार्य करने की संभावना है। क्योंकि NEFT ऑनलाइन स्थानान्तरण अब 24×7 उपलब्ध है।
वहीं भारत का सबसे बड़ा बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने बैंक हड़ताल का सेवाओं पर असर कम उम्मीद किया है जबिक बैंक ऑफ बड़ौदा को डर है कि हड़ताल से संचालन पर असर पड़ सकता है। एसबीआई ने एक स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में कहा, “हड़ताल में भाग लेने वाले यूनियनों में हमारे बैंक कर्मचारियों की सदस्यता बहुत कम है, इसलिए बैंकों के ऑपरेशन पर हड़ताल का असर कम से कम होगा।”
बैंक ऑफ बड़ौदा ने कहा कि यह हड़ताल के दिन सुचारू कामकाज के लिए आवश्यक कदम उठा रहा है, लेकिन अगर हड़ताल में सुधार होता है, तो इसकी शाखाओं और कार्यालयों का कामकाज प्रभावित हो सकता है। वहीं सरकारी क्षेत्र के सिंडिकेट बैंक (Syndicate Bank) ने 8 जनवरी को श्रमिक संगठनों की प्रस्तावित हड़ताल के मद्देनजर अपने ऑपरेशन को सामान्य बनाए रखने के लिए जरूरी उपाय करने की बात कही है।
छत्तीसगढ़ में 228 किसान व भूमि अधिकार से जुड़े संगठनों का देशव्यापी प्रदर्शन
बैंक यूनियन के आलावा अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और भूमि अधिकार आंदोलन सहित अनेक साझे मंचों से जुड़े देश के 228 किसान संगठनों ने मिलकर कल 8 जनवरी को देशव्यापी ग्रामीण भारत बंद का आह्वान किया है। इसी परिप्रेक्ष्य में छत्तीसगढ़ में भी किसानों और दलित-आदिवासियों से जुड़े 25 से ज्यादा संगठनों ने प्रदेश में इस बंद को सफल बनाने का आव्हान करते हुए ग्रामीणों से अपील की है कि इस दिन वे अपनी खेती-किसानी का कोई काम न करें, अपना काम-धंधा बंद रखकर सब्जी, दूध, अंडा, मछली जैसा अपना कृषि उत्पाद न बेचे, न ही कोई सामान खरीदे, कृषि उपज मंडियों को बंद रखें और जगह-जगह रास्ता रोको आंदोलन और धरना-प्रदर्शन-रैली करें और केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की भूपेश सरकार की कृषि व किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद करें।
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