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70 से 80 हजार कर्मचारियों के इस हड़ताल में शामिल होने का अनुमान है। इससे प्रदेश के 9 हजार स्वास्थ्य केंद्रों में व्यवस्थाएं चरमरा जाएंगी। एक हजार से ज्यादा सरकारी एंबुलेंस के पहिए थम जाएंगे। केंद्र से संचालित 700-800 हैल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर ताला लग जाएगा। टेक्नीशियंस के अभाव में एक्स-रे, सोनोग्राफी, पैथोलॉजी सहित सभी तरह की उपचार संबंधित जांच और कार्य प्रभावित होगी। नर्सों के नहीं होने से मरीजों की देखरेख कौन करेगा? सरकारी मेडिकल स्टोर से दवाइयां भी नहीं मिलेंगी। प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के महामंत्री अश्विन गुर्देकर कहते हैं, हम अनिश्चितकालीन हड़ताल के पक्ष में कभी नहीं थे। मांगें सालों पुरानी है। इसलिए ये कदम उठाना पड़ा। हम अब भी चाहते हैं कि शासन कोई पहल करे, जिससे हड़ताल रद्द हो। यह भी पढ़ें
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ये है विवाद की वजह 2018 में स्वास्थ्य विभाग, डीएमई और आयुष ने हेल्थ स्टाफ के वेतनमान में संशोधन के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा था। शासन ने इसे अब तक मंजूरी नहीं दी है। इस बीच कई दफे विरोध प्रदर्शन हुए। अफसरों से लंबी बातें चलीं। बात नहीं बनते देखकर पिछले साल कर्मचारियों ने प्रदेश में लगातार तीन दिनों तक हड़ताल किया था। इससे मरीजों और परिजनों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इसके अलावा भी कई मांगें हैं जो सालोंपुरानी हैं। सीजीएमएससी कर्मचारियों से भी चल रही है बातचीत… मिली जानकारी के मुताबिक, सीजीएमएससी के कर्मचारियों से भी हड़ताल में शामिल होने की बात चल रही है। गुरुवार शाम कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच इसे लेकर बैठक भी हुई है। इनका समर्थन मिलने से प्रदेश में दवाओं और उपकरणों की सफाई के साथ मशीनों का मेंटेनेंस भी गड़बड़ा सकता है।
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हड़तालियों की संख्या पर एक नजर… – एनएचएम- 30000– सीएचो- 7000
– स्टाफ नर्स- 5000
– जीवनदीप समिति- 4500
– रेडियोग्राफर- 2000
– टेक्नीशियंस – 2000
– फार्मासिस्ट – 2000
– वाहन चालक- 1800 (इनके अलावा अलग-अलग विभागों के 20 से 30 हजार संविदा और डेली विजेस कर्मचारी भी हड़ताल पर जाएंगे)
पूरी है तैयारी छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव सतीश पटेरिया का कहना है कि विभिन्न सरकारी अस्पतालों में पदस्थ स्वास्थ्यकर्मी लंबे समय अपनी मांगों को पूरा करने की शांतिपूर्वक मांग कर रहे हैं। कई ज्ञापन और मांगपत्र सौंपा गया है। वर्तमान सरकार ने भी कई वादे किए हैं, लेकिन मांगें अब तक पूरी नहीं हुई है। इस कारण 4 जुलाई से हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया गया है। इसकी तैयारी पूरी कर ली गई है।