यह भी पढ़ें: कोरोना मरीजों को बड़ी राहत: 90 हजार रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीदेगी छत्तीसगढ़ सरकार, आदेश जारी
जानकारों का मानना है कि यह इंजेक्शन के ओर भी विकल्प हैं। मगर, उनका इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। यही वजह है कि Corona की दूसरी लहर में यह इंजेक्शन आज हर व्यक्ति की जुबान पर चढ़ गया है। मरीज अस्पताल में भर्ती होने के साथ ही कह रहा है कि रेमडेसिविर लगा दो। उधर, सरकार ने खुद 90 हजार रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीद रही है। गौरतलब है कि सरकारी प्रोटोकॉल में रेमडेसिविर को शामिल किया गया है।
यह भी पढ़ें: रेमडेसिविर की किल्लत के बीच डॉक्टर कर रहा था कालाबाजारी, 5400 की इंजेक्शन बेच रहा था 16 हजार में
इस प्रकार अचानक से बढ़ी मांग
निजी अस्पताल- यहां हर मरीज को इंजेक्शन प्रिस्क्राइव किया जा रहा है। फिर चाहे मरीज ए-सिम्प्टेमैटिक ही क्यों न हो। क्योंकि इन्हें इंजेक्शन के दाम एमआरपी पर मिल रहे हैं।
यह भी पढ़ें: रेमडेसिविर को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने जारी किया नया ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल, जानिए लेटेस्ट अपडेट
आंबेडकर अस्पताल कोविड19 यूनिट के इंचार्ज डॉ. ओपी सुंदरानी ने कहा, देखिए, जिन मरीजों को इंजेक्शन की आवश्यकता है उन्हें अस्पताल के स्टोर से अलॉट हो रहे हैं। हमारे पास स्टाक है। कई मरीज कहते हैं कि डॉक्टर साहब रेमडेसिविर इंजेक्शन लगा दो, तो उन्हें पर्ची बनाकर दे देते हैं कि ले आओ तो लगा देंगे। कोरोना ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल में स्पष्ट है कि किन्हें इंजेक्शन लगाना है किन्हें नहीं। हर मरीज को लगाने के कारण ही इसकी किल्लत हुई है।
हॉस्पिटल बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता ने कहा, विशेष परिस्थितियों में ही इस इंजेक्शन की आवश्यकता है। 90 प्रतिशत मरीज तो सामान्य दवाओं से ठीक हो रहे हैं। गंभीर और वेंटिलेटर वाले मरीजों को ही इसे देने का नियम बना हुआ है। जिसका पालन होना चाहिए।