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जेम्स एंड ज्वेलरी पार्क में बनेंगी 2000 दुकानें, 10 हजार को मिलेगा रोजगार सावन की जोर-शोर से तैयारियां चल रही 2 महीने के सावन से शिव भक्तों का उत्साह दोगुना कर दिया है इधर, शिवालयों में भी जोर-शोर से तैयारियां चल रही है दर्शन के लिए शिवालयों में सौकड़ों की भीड़ उमड़ेगी ऐसे में सभी भक्तों को बारी-बारी का दर्शन मिल सके इसलिए, बांस- बल्लियों की बैरिकेडिंग की जा रही है शिवालयों के बहार पूजन सामग्रियों के बाजार भी जगमगाने लगे है ज्योतिषों के अनुसार, सावन 59 दिनों का होगा इस पावन महीने में शिव जी का जलाभिषेक करने से महादेव के साथ माता पारवती की भी असीम कृपा बरसेगी।
पुरुषोत्तम और अधिकमास का कारण? जानिए… अधिकमास में विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्यों पर प्रतिबंध रहता है। इस महीने में सूर्य संक्राति नहीं होती। इस कारण इसे मलिन माह माना गया है। मलमास में नामकरण, यज्ञोपवित जैसे संस्कार भी नहीं किए जाते हैं। पुरुषोत्तम मास कहने के पीछे कथा है। इसके मुताबिक अशुभ होने से कोई भी देवता इस महीने का स्वामी नहीं बनना चाहता था। तब अधिकमास ने विष्णुजी से प्रार्थना की। ये प्रार्थना सुन विष्णुजी ने महीने को खुद का सर्वश्रेष्ठ नाम पुरुषोत्तम दिया। तब से इस माह को पुरुषोत्तम मास कहा जाने लगा।
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सावन का महीना महादेव को समर्पित है, लेकिन अधिकमास के स्वामी श्रीविष्णु हैं। इसलिए इसे पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। इस बार सावन में पड़ने के कारण यह अधिकमास और भी विशेष हो गया है, क्योंकि इस मास में जो भी जातक निष्ठापूर्वक भगवान का चिंतन-मनन करेंगे उन पर हरि और हर, दोनों की कृपा होगी।
सावन को देखते हुए मंदिर की साज-सज्जा जोरों से चल रही है। भक्त पूर्व दिशा से प्रवेश करेंगे और दर्शन करते हुए दक्षिण दिशा स्थित गेट से बाहर निकल जाएंगे। भीड़ के लिए इंतजाम बनाने बैरिकेडिंग की जा रही है। सेवक दल भी तैयार किया जा रहा है।
– सुरेश गिरी, पुजारी, हटकेश्वर महादेव मंदिर