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चौंकाने वाली बात यह है यहां की बेशकीमती सरकारी जमीन का किराया यहां के कुछ रसूखदार लाखों में उठा रहे हैं। यहां से प्रदेश के सभी इलाकों से व्यवसायिक लगेज की बुकिंग होती है, जिसके कारण दिन भर माल वाहकों का रेला लगा रहता है, जिसका असर रामसागर पारा से लेकर समता कॉलोनी तक रहता है। अभी मंडी अनियोजित ढंग से बसी है। इसे सिस्टम से बनाने के लिए नगर निगम ने 2007 में गंज मंडी की पूरी जमीन को समतल कर वहां बड़े कमर्शियल कांप्लेक्स का प्रोजेक्ट लाया था।
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नए सिरे से दुकानें बसाने की योजना 12 साल से अटकी गंज मंडी में साढ़े 26 एकड़ जमीन है। निगम की 24 एकड़ जमीन में 500 से अधिक किराएदार काबिज हैं और बाकी जगह खुली थी। तकरीबन दो एकड़ खुली भूमि पर कब्जा हो चुका है। बतादें कि गंज मंडी में दुकानें 12 साल पहले बनना शुरू हुई थीं। गंज मंडी का प्रोजेक्ट रायपुर विकास प्राधिकरण (आरडीए) ने लाया था, लेकिन जमीन नगर निगम की है। सर्वे शुरू हुआ, ड्राइंग-डिजाइन भी तैयार हो गया, लेकिन व्यापारियों के विरोध की वजह से मामला अटक गया। अब इस प्रोजेक्ट को रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने अपने हाथ में लिया था। इसके बाद फिर मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
– डॉ. गौरव सिंह, कलेक्टर, रायपुर