इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय (Indira Gandhi Agricultural University) द्वारा विकसित जिन नवीन फसल किस्मों को अधिसूचित किया है उनमें धान की तीन नवीन किस्मों – विक्रम टी.सी.आर. (विक्रम ट्राॅम्बे छत्तीसगढ़ चावल), सी.जी. जवांफूल ट्राॅम्बे (आर.टी.आर.-31), सी.जी. बरानी धान-2 (आर.आर.एफ.-105) को छत्तीसगढ़ राज्य हेतु अधिसूचित किया गया है। गेहूँ की नवीन किस्म – सी.जी.-1029 (कनिष्क) को छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, गुजरात, राजस्थान के (कोटा और उदयपुर संभाग) और उत्तर प्रदेश के (झांसी संभाग) हेतु तथा छत्तीसगढ़ हंसा गेहूँ (सी.जी.-1023) को छत्तीसगढ़ राज्य हेतु अधिसूचित किया गया है।
विश्वविद्यालय द्वारा विकसित चने की नवीन किस्म – आर.जी.2015-08 (सी.जी. लोचन चना) को छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश राज्यों हेतु अधिसूचित किया गया है। इसी प्रकार सोयाबीन की नवीन किस्म – आर.एस.सी. 11-07 को पूर्वी क्षेत्र (पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखण्ड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ तथा दक्षिणी क्षेत्र (दक्षिण महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, आन्ध्रप्रदेश और तमिलनाडु) राज्यों हेतु अधिसूचित किया गया है। सोयाबीन की किस्म आर.एस.सी.-10-46 को पूर्वी क्षेत्र (पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखण्ड, ओड़िशा और छत्तीसगढ़) तथा मध्य क्षेत्र (मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश के बुंदेलखण्ड क्षेत्र, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र के मराठवाड़ा और विदर्भ) क्षेत्र हेतु अधिसूचित किया गया है।
सोयाबीन की नवीन किस्म आर.एस.सी.-1052 को (मध्यप्रदेश उत्तरप्रदेश के बुंदेलखण्ड क्षेत्र, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र के मराठवाड़ा और विदर्भ) क्षेत्र हेतु अधिसूचित किया गया है। कुसुम की नवीन किस्म आई.जी.के.वी. कुसुम (आर.एस.एस.-2016-30) को छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश राज्यों हेतु अधिसूचित किया गया है। इसी प्रकार विश्वविद्यालय द्वारा विकसित अलसी की नवीन किस्म आर.एल.सी.-164 तथा आर.एल.सी.-167 को जम्मू-कश्मीर, हिमाचलप्रदेश, पंजाब और छत्तीसगढ़ राज्यों हेतु अधिसूचित किया गया है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित और भारत सरकार द्वारा अधिसूचित विभिन्न फसलों की नवीन किस्में विशिष्ट गुणधर्माें और विशेषताओं से परिपूर्ण हैं।
सोयाबीन की नवीन किस्म आर
.एस.सी. 11-07 अनेक रोगों एवं कीटों हेतु प्रतिरोधी पाई गई है। यह किस्म इंडियन बड ब्लाइट, पाॅट ब्लाइट रोगों तथा स्टैम फ्लाई और गर्डल बीटल कीटों के प्रति निरोधक है। यह 97 से 102 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है तथा 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज देने में सक्षम है। सोयाबीन की आर.एस.सी. 10-46 किस्म 102-104 दिन अवधि की 30 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देने वाली प्रजाति है। इस किस्म में फली बिखरने की समस्या कम होती है। यह किस्म चारकोल राॅट, बड ब्लाइट, बैक्टिरियल पश्चूल आदि रोगों तथा तना छेदक, स्टेम फ्लाई और गर्डल बीटल जैसे कीटों के प्रति निरोधक पाई गई है।