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रायगढ़

हाथियों ने तोड़ा आशियाना, ले ली जान, अब… सिर पर गठरी और बर्तन टांगे गांव छोड़ जा रहे ग्रामीण

क्षेत्र में 17 हाथियों का दल मौत बनकर मंडरा रहा

रायगढ़Sep 01, 2017 / 02:42 pm

Shiv Singh

हाथियों ने तोड़ा आशियाना, ले ली जान, अब... सिर पर गठरी और बर्तन टांगे गांव छोड़ जा रहे ग्रामीण

गांव छोड़कर जाते ग्रामीण

रायगढ़। गांव के 22 परिवारों के घर को रौंद दिया गया है, दो महिलाओं की जान ले ली गई है, इससे परेशान और दहश्तजदा ग्रामीण अपने सिर पर गठरी, बर्तन टांगे अपने बच्चों और परिवार के साथ गांव से पलायन कर रहे हैं।
ये मामला जिले के धरमजयगढ़ ब्लाक के कापू क्षेत्र के विजयनगर के आश्रित गांव गेरूपानी का है। क्षेत्र में 17 हाथियों का दल मौत बनकर मंडरा रहा है, इन सभी दलों में लगभग 122 हाथी हैं जो कभी भी किसी गांव में धावा बोल रहे हैं और जमकर तबाही मचा रहे हैं। इनके आतंक को भुगतने के बाद राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र पहाड़ी कोरवा जाति के 22 परिवार व अन्य ग्रामीण शुक्रवार को अपने गांव को छोड़कर चले गए थे।
मिली जानकारी के अनुसार गांव छोड़कर जा रहे इन ग्रामीणों को गांव के एक सरकारी भवन में आश्रय दिया गया है। विदित हो कि बुधवार की रात को धरमजयगढ़.वन मंडल धरमजयगढ़ के वन परिक्षेत्र कापू के बिजय नगर के आश्रित ग्राम गेरूपानी में 12 बजे के आसपास 17 हाथियों के झुण्ड ने तांडव मचाया। जिसमें राष्ट्रपति के दत्तक पुत्रों में शामिल पहाड़ी कोरवा जनजाति की दो महिलाओं को हाथियों ने कुचल कर मार दिया है। वहीं गांव के लगभग 22 मकानों को रौंद दिया है। ग्रामीण रात भर हाथियो की दहशत के साये में जीने को मजबूर रहे। इसके बाद सभी ग्रामीण एक जगह इकठ्ठा होकर अपने परिवार के साथ रात को किसी तरह गुजारी और सुबह होते ही अपने गांव को छोड़कर अन्यत्र पलायित हो गए।
कहते हैं डीएफओ- इस मामले में धरमजयगढ वन मंडल के डीएफओ प्रणय मिश्रा ने बताया कि 17 हाथियों का झुण्ड लगातार दो ग्रुप में कापू रेंज में देखे जा रहे हैं। पूरे वन मंडल में 122 हाथी डटे हुए हैं। बीती रात गेरूपानी गांव में हाथी घरों को तोड़ रहे थे और दोनों महिलाएं घर के अंदर थी। इस दौरान वो भाग नहीं सकीं और हाथियों के सामने आ गईं। इसमें एक महिला की मौके पर मौत हो गई जबकि दूसरी महिला जो भाग रही थी वो जमीन में गिर गई। ऐसे में हाथी ने उसे कुचल कर मार डाला। डीएफओ का कहना है कि क्षेत्र में हाथियों की खाने की चीजों में कमी है इसलिए ग्रामीणों के घरों को हाथी अपना निशाना बना रहे हैं।

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