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हर साल शिक्षण सत्र चालू होने के बाद शिक्षकों के स्थानांतरण के लिए प्रतिबंध हटाकर आवेदन मंगाया जाता है। कुछ तो शिक्षा मंत्री के अनुशंसा पर तो कुछ को पंचायत व अन्य के अनुशंसा पर स्थानांतरण किया जाता है इस बार भी जिले में व्यापक संख्या में शिक्षकों का स्थानांतरण किया गया है।चौकाने वाली खबर: जिस जाल को लेकर गया था मछली पकडऩे उसी में फंस कर युवक की हुई मौत
अब यहां पर यह समस्या आ रही है कि एक शिक्षक कार्यालयीन कार्य करें या अध्यापन। अध्यापन के लिए भी किस कक्षा का अध्यापन कराए। कुलमिलाकर देखा जाए तो उक्त 50 स्कूलों में शिक्षण व्यवस्था पूरी तरह से बिगड़ चुकी है और अब विभाग के अधिकारी व्यवस्था के तहत शिक्षण व्यवस्था को सुधारने के कवायद में लगे हुए हैं। विभाग के अधिकारियों को जब स्थानांतरण निरस्त करने के बारे में पुछा गया तो बड़े सहज ढंग से व्यवस्था करने की बात कहने लगे।आश्चर्य की बात तो यह है कि स्थानांतरण सूची जारी करने के बाद कई क्षेत्रों से यह शिकायत आई कि उक्त शिक्षक के स्थानांतरण के बाद स्कूल एकल शिक्षक हो जा रहा है। इसके बाद भी विभाग के अधिकारियेां ने स्थानांतरण को रोकने के बजाए उल्टे संबंधित शिक्षक को रिलीव कर दिया।
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किया जा सकता था निरस्तस्थानांतरण के बाद मामले की जानकारी मिलने के बाद शिक्षा विभाग शासन को इस बात से अवगत कराते हुए उक्त स्थानांतरण को निरस्त करा सकते थे लेकिन नहीं कराया गया। जिसका खामियाजा आज संबंधित स्कूलों में पढऩे वाले छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। उक्त स्कूलों में अध्यापन नहीं हो पा रहा है।
जशपुर सहित अन्य कुछ जिलों में स्थानांतरण के बाद एकलशिक्षक व शिक्षकविहीन हुए स्कूलों के शिक्षकों का स्थानांतरण निरस्त कर दिया गया है लेकिन जिले में इसके लिए कोई प्रयास नहीं किया गया। इसको लेकर यह चर्चा है कि विभागीय अधिकारियों का शिक्षकों से सांठ-गांठ होने के कारण निरस्त नहीं कराया गया।
मनींद्र श्रीवास्तव, डीईओ रायगढ़
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