रायगढ़ .जहां पहुंच नहीं सकते, वहां 24 घंटे में पहुंच रहा काम छोटी सी तकनीकी प्रयोग से मनरेगा की बढ़ी स्पीड इस विधि से 20 दिन में एक लाख को मिला रोजगार 118 ग्रामपंचायतों में ऐसे कर के 300 कार्य हुए शुरू कापू क्षेत्र का पहुंच विहीन कंचीरा गांव का ग्रामीण रोजगार सहायक से मनरेगा के तहत काम की मांग करता है। अगले ही दिन रोजगार सहायक उसके घर का दरवाजा खट-खटाता है और उसे कोठार निर्माण कार्य में काम करने की बात कहता है। ग्रामीण भौचक रह जाता है, अमूमन काम मांगने के बाद कम से कम 15 दिन और अधिकतम कुछ कहा नहीं जा सकता है की तर्ज पर ग्रामीणों को कार्य मिलता था। श्रमिक को भी इस बात का भरोसा नहीं था कि काम मांगने के 24 घंटे के अंदर उसे काम मिल जाएगा। वर्तमान में उस गांव में 57 ग्रामीणों को कार्य मिल गया है। ऐसी ही स्थिति पहुंचविहीन गांव पारेमेर, डगभौना, नेवार, कूमा, महराजगंज, सोमखा मुड़ा, पाराघाटी की है। जहां ग्रामीणों को इस प्रकार से काम उपलब्ध करवाया गया है। अब मनरेगा के कार्य वाट्सअप और ईमेल के माध्यम से संपादित किए जा रहे हैं। नए प्रयोग के तहत शासन की ओर से सभी जनपदों में मनरेगा सेल को कार्य में सहयोग प्रदान करने के लिए सीएफटी (कलस्टर फेसिलिटेशन टीम)की नियुक्ति की गई है। इस टीम का जिम्मा जनपद के मनरेगा टीम को सहयोग प्रदान करना है। हर ब्लाक में इसकी नियुक्ति की गई है। धरमजयगढ़ में जनमित्रम कल्याण समिति को जिम्मा दिया गया है। अब स्थिति यह है कि मजदूर जैसे ही रोजगार सहायक से कार्य की मांग करता है, रोजगार सहायक तुरंत उसके मांगपत्र को वाट्सअप के माध्यम से सीएफटी को भेज देता है। यहां सीएफटी की टीम उस मांग पत्र को तुरंत देखती है यदि कोई गलती होती है तो उसमें सुधार की बात कही जाती है, फिर से उसे सुधार कर वापस वाट्सअप से भेजा जाता है। इसके बाद सीएफटी की टीम यहां आनलाइन ई-मस्टररोल जनरेट करती है और उसे मेल से रोजगार सहायक को भेज दिया जाता है। अगले दिन से वहां कार्य शुरू हो जाता है। धरमजयगढ़ ब्लाक में मनरेगा के कार्य के लिए वाट्सअप का प्रयोग 20 दिनों से शुरू हुआ है। जिसका परिणाम बेहतर आ रहा है। जयंत कुमार सिंह