उल्लेखनीय है कि रायगढ़ स्टेशन से हर दिन जहां 80 से 100 मालगाड़ियों का परिचालन होता है। वहीं यात्री ट्रेनें भी करीब 60 से 70 चलती है। मालगाड़ियों की संया अधिक होने के कारण यात्रियों गाड़ियाें की कभी प्लेटफार्म बदल जाता है तो कभी आउटर में आधे घंटे खड़ी कर दी जाती है। इससे सफर करने वाले यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जब से ठंड का मौमस शुरू हुआ है तब से उत्तर भारत से चलने वाली ज्यादातर यात्री ट्रेने हर दिन घंटों विलंब से चल रही ह।
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CG Railway Station: समस्या..
इससे रायगढ़ स्टेशन पहुंचने तक लेट होने के कारण या ता उक्त ट्रेन को स्टेशन से पहले आउटर में खड़ा कर दी जा रही है या या एन वक्त पर प्लेटफार्म को बदल दिया जाता है। ऐसे में स्टेशन में ट्रेन के इंतजार में खडे़ यात्रियों को अनांउस होते ही दौड़ लगाना पड़ जाता है। हालांकि युवा वर्ग तो समय पर पहुंच जाते हैं, लेकिन बुजुर्ग व महिला यात्रियों को काफी दिक्कत होती है। इस संबंध में यात्रियों ने बताया कि एक नंबर से दो नंबर व तीन नंबर जाने के लिए स्टेशन के दोनों अंतिम छोर पर फुड ओवरब्रिज बना है। जब प्लेटफार्म बदलता है तो काफी दूर तक चलना पड़ता है। साथ ही हर यात्री के पास लगेज होता है। इसके जल्दबाजी में एक नंबर से दो नंबर तक जाने के लिए काफी मशक्त करनी पड़ती है। साथ ही कई बार तो साथ में बुजुर्ग व महिला यात्री होने से जब तक उक्त ट्रेन तक पहुंचते हैं तब तक ट्रेन के छुटने का समय हो जाता है, जिससे आनन-फानन में किसी भी बोगी में चढ़कर अंदर ही अंदर जाना पड़ता है।
आजाद हिंद व मेल में ज्यादा समस्या
विगत सप्ताहभर से आजाद हिंद व मेल ट्रेन के स्टेशन पहुंचने के कुछ ही मिनट पहले अनांउस हो जाता है, कि यह ट्रेन एक नंबर की बजाय दो नंबर या तीन पर आएगी, ऐसे में अनांउस होते ही यात्री दौड़ लगा देते हैं। जिससे यात्रियों को तो परेशानी होती ही है साथ ही एक नंबर के स्टाल संचालकों को भी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। रायगढ़ स्टेशन से हर दिन करीब 170 गाड़ियों का परिचालन होता है, जिसमें करीब 100 के आसपास मालगाड़ी तो करीब 70 यात्री गाड़ियां हर दिन चलती है। ऐसे में मालगड़ियों की संया अधिक होने के कारण हर समय स्टेशन का सभी लाइन में मालगड़ियां ही दिखती है। साथ ही लाइन खाली नहीं होने की स्थिति में यात्री गाड़ियों को हर दिन स्टेशन के बाहर पहले खड़ा करना पड़ता है, और मालगाड़ियों को आगे निकालने के बाद ही यात्री गाड़ियों को स्टेशन में जगह मिलता है, जिससे कभी प्लेटफार्म बदलता है तो कभी बिलंब होता है।