बाबा को मिली है श्री १०८ की उपाधि
यहां के श्रद्धालु बताते हैं कि बाबा की ख्याति सुन कर आसाम कामाख्या से 108 मौनी कलाहारी बाबा (उम्र 108 वर्ष) भी कोसमनारा, रायगढ़ सत्यनारायण बाबा की तपस्या देखने आए। बाबा की तपस्या से प्रभावित होकर दो से आठ अपै्रल 2003 तक 108 सत्य चण्डी महायज्ञ किया गया एवं बाबा सत्यनारायण को श्री 108 की उपाधि देकर अपने धाम को वापस चले गए। तब से आज तक प्रतिवर्ष उनके अनुयायी यहां कोसमनारा आते है।
धीरे-धीरे संवरता रहा धाम
निर्माण शुरू हुआ, प्रथम कुटिया बनी, फिर पानी की व्यवस्था हुई। धीरे-धीरे बाबा जी का धाम अपना स्वरूप लेने लगा। पत्थरों की जगह शिवलिंग की स्थापना हो गई। धुनि की जगह हवन कुण्ड बना दिया गया। बाबा खेत की जमीन पर बैठे थे। भक्तों के अनुरोध पर चबूतरा पर बैठने को राजी हुए। वहीं जगत जननी अष्टभूजी दुर्गा माता मंदिर का निर्माण 2009 में पूर्ण हुआ।
खुले आसमान के नीचे साधना करते हैं बाबा
बाबा 16 फरवरी 1998 से अब तक तीनों मौसम ग्रीष्म, वर्षा एवं ठंड ऋ तु में खुले आसमान के नीचे निरंतर सुबह सात से रात्रि 12.00 बजे तक अपने ईश्वर की साधना में तपस्यारत रहते हैं। बाबा किसी भी भक्तजन से वार्तालाप नहीं करते। बाबा प्रतिदिन सुबह छह से सात बजे एवं रात्रि 12:30 बजे दो बजे तक आने वाले सभी भक्तों से मुलाकात करते हंै और बाबा अपनी बातों को भक्तों से ईशारे से समझाते हंै। शनिवार को बाबा जी अपने भक्तों से रात्रि 12:30 से सुबह पांच बजे तक मिलते हैं।
बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है प्रत्येक पर्व
तपस्वी बाबा सत्यनारायण बाबाधाम सभी त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। जिसमें 16 फरवरी स्थापना दिवस, महाशिवरात्रि, 12 जुलाई बाबा का जन्मोत्सव, गुरू पूर्णिमा, सावन के अंतिम सोमवार को महाभंडारा, नवरात्रि, दीपावली व होली शामिल है।
कोमसनारा में स्थापना दिवस की रहती है धूम
स्थापना दिवस के अवसर पर सुबह आरती बाद से दिन-भर शहर सहित दूर-दूर से भक्त बाबा जी के दर्शन को कोसमनारा आएंगे। साथ ही दिन भर भजन-किर्तन एवं प्रसाद वितरण का कार्यक्रम किया जाएगा।