scriptशिक्षा की गुणवत्ता सुधारने योजनाओं के नाम पर बच्चों के भविष्य से किया जा रहा खिलवाड़ | Poor quality of education improvements | Patrika News
रायगढ़

शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने योजनाओं के नाम पर बच्चों के भविष्य से किया जा रहा खिलवाड़

– शुरू की जा रही हर नई योजना पुरानी की खोल रही पोल

रायगढ़Nov 03, 2017 / 11:42 am

Vasudev Yadav

शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने योजनाओं के नाम पर बच्चों के भविष्य से किया जा रहा खिलवाड़
रायगढ़. जिले की शिक्षण व्यवस्था को सुधारने के लिए शुरू की जा रही हर नई योजना पुरानी की पोल खोलती नजर आ रही है। अब्दुल कलाम शिक्षा गुणवत्ता अभियान के तहत जब शिक्षण व्यवस्था को सुधारने का प्रयास किया गया तो लगा सब ठीक हो गया है, बकायदा पीठ भी थप-थपाई गई पर जैसे ही दूसरी योजना शुरू हुई तो पुरानी योजना की पोल खुलने लगी है। अब स्थिति यह है कि पुरानी योजना के तहत हुए सुधार और पीठ थप-थपाई रस्म पर भी सवाल उठने लगे हैं।
बोर्ड परीक्षा परिणाम में सुधार लाने के लिए शुरू की गई योजना पहल अब जिले के सरकारी स्कूलों की पोल खोल रही है। हालत यह है कि एपीजे अब्दुल कलाम शिक्षण गुणवत्ता अभियान में भले ही कुछ स्कूलों का ग्रेड बढ़ गया लेकिन जब पहल की शुरुआत की गई तो इन स्कूलों की पोल खुलती नजर आ रही है।
वर्तमान में पहल योजना के तहत जिले के हर स्कूल के टेस्ट और तिमाही परीक्षा के परिणाम वेबसाइट पर दर्ज हो रहा है। जब इस पर गौर किया गया तो अधिकांश स्कूलों का परिणाम सी ग्रेड में है। इनमें वो स्कूल भी शामिल हैं जो शिक्षा गुणवत्ता अभियान के दौरान बेहतर गे्रड में आ गए थे, पर अब पहल योजना में फिर से फिसड्डी हो गए हैं। अब तक जिले के सरकारी स्कूलों में 5 टेस्ट व तिमाही परीक्षा आयोजित की जा चुकी है। इसके बाद इन स्कूलों के परिणाम को वेबसाइट पर इंट्री किया गया है।
यह भी पढ़ें
चौक को दिया नाम, लेकिन दस्तावेजों में नहीं कोई उल्लेख बात खुली तो खड़ा हो गया बखेड़ा

हालत यह है कि मासिक टेस्ट के परिणाम में तो स्कूलों को सी ग्रेड मिला ही है लेकिन तिमाही परीक्षा में ही इन स्कूलों ने अपने परिणाम को सी गे्रड में ही मेंटेन रखा है। इसका अर्थ स्पष्ट है कि कोई सुधार नहीं हुआ है। चिंता इस बात की है कि जिले के अधिकांश स्कूलों को सी ग्रेड मिला है। इंट्री किए गए परिणाम के अनुसार जिले में दसवीं के 176 स्कूल सी ग्रेड में हैं, जबकि 12 वीं में 153 स्कूल सी ग्रेड में है। माह में होने वाले दो टेस्ट में बच्चों के कमजोर परिणाम को लेकर हर माह समीक्षा बैठक कर प्राचार्यों को सुधार की जिम्मेदारी दी जा रही है, समझाईश दी जा रही है, इसके बाद भी परिणाम में सुधार नहीं आ पा रहा है। जो स्थिति है उसे देखकर बोर्ड के परिणाम में क्या स्थिति होगी यह सवाल खड़ा हो गया है। बताया जाता है कि कई स्कूलों में तो निर्धारित समय में कोर्स भी पूरा नहीं हो पा रहा है इसके कारण टेस्ट में बच्चे लिख नहीं पा रहे हैं जिसके कारण स्कूल का नाम ग्रेड सी ग्रेड में दर्ज हो रहा है।

स्कूल की संख्या में आ रहा है अंतर
जिले के कई स्कूलों में 10 वीं व 12 वीं में दो से तीन सेक्शन हैं इसके अलावा १२ वीं में विषयवार अलग-अलग क्लास हैं। इन सभी की अलग-अलग इंट्री होनी है, इसके कारण जिले में 10 वीं के 111 स्कूल है, लेकिन इसमें 235 संख्या दिख रही है। इसीप्रकार 12 वीं का 148 स्कूल है लेकिन इसमें 250 स्कूल दिख रहे हैं।

इधर इंट्री करने में भी कर रहे हैं गड़बड़ी
सूत्र बताते हैं कि सेक्शन और विषयवार अलग-अलग कक्षा होने का लाभ स्कूल प्रबंधन उठा रहे हैं। एक कक्षा की इंट्री करने के बाद वेबसाइट में स्कूल का नाम आ जाने पर इंट्री हो जाने की रिपोर्ट कर रहे हैं जबकि अन्य सेक्शन व विषय के कक्षाओं की इंट्री बाद में की जा रही है।

हर साल गिर रहा रिजल्ट
पिछले दो साल से देखा जाए तो 10 वीं और 12 वीं बोर्ड के परिणाम का प्रतिशत गिरता चला जा रहा है। इसको लेकर पूर्व में शिक्षा मंत्री ने भी एक शिविर में तात्कालीन कलक्टर को आईंना दिखाते हुए सुधार लाने के लिए कहा था। जिसके बाद वर्तमान कलक्टर ने पहल के माध्यम से परिणाम में सुधार लाने की कवायद शुरू की, पर स्थिति अब भी जस की तस दिख रही है।

गिने-चुने ए व बी में
पहल के तहत सामने आए परिणाम के अनुसार हाई स्कूल के परिणाम पर गौर किया जाए तो लैलूंगा में २९ स्कूल सी ग्रेड व एक स्कूल बी ग्रेड में है जबकि एक भी स्कूल ए व ए प्लस में नहीं है।

पत्रिका व्यू
जि ले में शिक्षा की जो हालत हैं वो किसी से छुपी नहीं है। खासकर सरकारी शिक्षा जिस प्रकार से रेंग रही है उसमें यह कह पाना मुश्किल है कि देश का भविष्य कैसे गढ़ा जा रहा है। जर्जर हो चुके स्कूल भवन, संसाधन की कमी से जूझ रहे शिक्षण व्यवस्था को लाख योजनाओं की घुट्टी पिला दी जाए इसका परिणाम तब तक बेहतर नहीं आएगा जबतक इस समस्या की जड़ को उदासीनता, मनमानी और अदूरदर्शिता के खाद-पानी से सींचा जाता रहेगा। अगर बेहतर परिणाम चाहिए तो सबसे पहले स्कूलों में संसाधन को सुधारना होगा फिर शिक्षा व शिक्षकों की गुणवत्ता पर कार्य करना होगा, इसके बाद पूरी शिक्षण व्यवस्था में कसावट लानी होगी। केवल योजना की खानापूर्ति से शिक्षण व्यवस्था की दुर्दशा पर उठते सवालों को तो दो मिनट के लिए टाला जा सकता है पर खुद सवाल बनती जा रही सरकारी शिक्षा को शनै-शनै रुग्न होने से नहीं रोका जा सकता।

Hindi News / Raigarh / शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने योजनाओं के नाम पर बच्चों के भविष्य से किया जा रहा खिलवाड़

ट्रेंडिंग वीडियो

loader
Copyright © 2025 Patrika Group. All Rights Reserved.