ज्ञात हो कि अपनी 11 सूत्रीय मांगों को लेकर 25 जून को प्रदेश पुलिस के परिजन राजधानी में राज्यव्यापी आन्दोलन करने वाले हैं। जहां अपने जिले से भी पुलिस के परिजन राजधानी पहुंचकर आन्दोलन में शामिल होने वाले हैं। इसी के समर्थन में रायगढ़ पुलिस के परिजनों द्वारा 22 जून को मिनी स्टेडियम से रैली निकालकर कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपने की बात कही गई थी। जिसे देखते हुए पुलिस के अधिकारियों ने उन्हें काफी समझाइश दी थी। साथ ही आन्दोलन करने से मना किया था। इस संबंध में एएसपी का कहना था कि जिला पुलिस के परिजन मान गए हैं, वे किसी प्रकार का आन्दोलन नहीं करेंगे। लेकिन अचानक ही रैली निकालकर पुलिस के परिजनों ने यह बता दिया कि वे अपनी मांगों को लेकर डटे रहेंगे। किसी के दबाव में आकर वे पीछे हटने वाले नहीं। मिली जानकारी के अनुसार शुक्रवार की दोहपर दर्जनों की संख्या में महिलाएं अपने बच्चों को गोद में लेकर मिनी स्टेडियम पहुंचे। यहां बैनर.पोस्टर लेकर एक रैली निकाली गई। यह रैली मिनी स्टेडियम से होकर कलेक्टोरेट पहुंची। जहां वे अपनी मांगों के संबंध में कलेक्टर शम्मी आबिदी को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपने वाले थे। इससे पहले ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
कुछ महिलाओं को घर से निकाला
बताया जा रहा है कि कुछ आन्दोलरत महिलाएं गिरफ्तारी के भय से आसपास के घर में जाकर घुस गईं, जिन्हें भी घर से निकाल कर पकड़ा गया। अचानक हुए इस भागमभाग में कुछ महिलाएं गिरती-गिरती बचीं, जिनके हाथ में बच्चे थे। अगर ऐसा होता तो कोई गंभीर घटना भी घटित हो सकती थी। पुलिस द्वारा पुलिस के परिवार को ऐसे चोर-डकैत के जैसे दौड़ा-दौड़ाकर पकडऩे की जानकारी मिलने पर पूरा शहर पुलिस की इस कार्रवाई की निंदा कर कर रहे हैं। साथ ही इस घटना को शर्मसार बता रहे हैं।
कुछ कांग्रेसी भी हुए गिरफ्तार
पुलिस के परिवार के समर्थन में कांग्रेसी भी मौके पर पहुंचे थे। जिन्हें सीएसपी के निर्देश पर गिरफ्तार कर लिया गया है। इस कार्रवाई से कांग्रेसियों में भी नाराजगी देखी जा रही है। वे खुद के गिरफ्तार होने से नाराज नहीं हैं, लेकिन पुलिस में 24 घंटे सेवा देने वाले पुलिस के परिजनों को पुलिस द्वारा ही दौड़ा.दौड़ा कर भेड़- बकरियों की तरह पकडऩे की बात से नाराज हैं।
क्या कहते हैं पुलिस के परिजन
बीते दिनों एक सभागार में आन्दोलनरत महिलाओं का कहा था कि हमारे पतियों को कम वेतन, भत्ता, साप्ताहिक अवकाश का अभाव, लगातार ड्यूटी, आराम के अभाव में कई बीमारियों से ग्रसित होने, ड्यूटी के दबाव के बीच बच्चों को समय नहीं देने जैसे करीब एक दर्जन से अधिक समस्याएं हैं। जिसकी वजह से घर का माहौल भी खराब होता है। इसके बाद भी शासन ने पुलिसकर्मी को दी जाने वाली सुविधाओं पर कभी विचार नहीं किया है। शासकीय कर्मचारी व पुलिस मैन्यूवल की वजह से उनके पति कभी आवाज नहीं उठा पाते हैं, लेकिन हम तो मजबूर नहीं हैं। ऐसे में वे पतियों के अधिकार को दिलाने आवाज उठा रही हैं।