रायगढ़

नए ट्रैफिक नियम बनने के बाद सड़क दुर्घटनाओं में आई कमी, सामने आए चौंकाने वाले आंकड़े

कोर्ट में बढ़े दर पर अर्थदण्ड पटाने के डर से लोग करने लगे हैं ट्रैफिक नियमों का पालन,आने लगी जागरुकता .

रायगढ़Oct 16, 2019 / 06:38 pm

CG Desk

नए ट्रैफिक नियम बनने के बाद सड़क दुर्घटनाओं में आई कमी, सामने आए चौंकाने वाले आंकड़े

रायगढ़ . नए ट्रैफिक नियम बनने होने के बाद जिले में सडक़ दुर्घटनाओं का ग्राफ कम हुआ है। इसका प्रमुख कारण अर्थदण्ड है। कोर्ट में नए ट्रैफिक नियम के हिसाब से अर्थदण्ड लगाया जा रहा है, जिससे लोगों की कमाई एक बार में ही चालान के रूप में चली जा रही है। इससे बचने के लिए लोग अब ट्रैफिक नियमों का पालन करने लगे हैं। जिससे दुर्घटनाओं के आंकड़ों में कमी आ रही है।

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साल 2018 के सितंबर माह में जब नया ट्रैफिक नियम लागू नहीं हुआ था तब 46 हादसे हुए थे। जिसमें 18 लोगों की मौत हुई थी। वहीं 41 लोग घायल हो गए थे। वहीं इसी साल के सितंबर माह की बात करें तो 37 दुर्घटनाएं हुई हैं, जिसमें 16 की मौत व 30 लोग घायल हुए हैं। जोकि पिछले साल के सितंबर माह की तुलना में कुछ कम हैं। ज्ञात हो कि नया ट्रैफिक नियम अभी पूरे प्रदेश में लागू नहीं हुआ है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के गाइड लाइन अनुसार जिला न्यायालय में नए ट्रैफिक नियम के अनुसार ही अर्थदंड लगाया जा रहा है। जिससे शहरवासी अर्थदण्ड पटाने के बजाए नियमों का पालन करना जरूरी समझ रहे हैं।

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पुलिस अधिकारियों की माने तो शराब पीकर या नशे की हालत में वाहन चलाने से अधिकांश दुर्घटनाएं होती है। ऐसे में जब यातायात पुलिस शराबी चालकों को पकड़ती है तो उन पर चालानी कार्रवाई करके उन्हें नहीं छोड़ती। बल्कि उन्हें कोर्ट में पेश करती है। जहां से वे अर्थदण्ड पटाकर अपना वाहन छुड़ाते हैं। पहले कोर्ट में शराबी चालकों को दो हजार रुपए अर्थदण्ड चुकाना पड़ता था, अब नए नियम के हिसाब से उससे चार गुना 10 हजार रुपए अर्थदण्ड चुकाना पड़ रहा है। जिससे शराबी चालकों में हडक़ंप मचा हुआ है। वहीं लोग शराब पीकर वाहन चलाने से कतरा रहे हैं। हाल ही में जिला न्यायालय ने एक शराबी चालक पर 10 हजार रुपए का अर्थदण्ड लगाया है।

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इसके अलावा सितंबर माह में छाल पुलिस ने भी एक शराबी चालक को पकड़ कर धरमजयगढ़ न्यायालय में पेश किया था। जिसे कोर्ट ने 15 हजार रुपए के अर्थदण्ड से दंडित किया था। यातायात पुलिस की मानें तो वह कोर्ट के ऊपर निर्भर करता है कि किस मामले में कितना अर्थदण्ड लगाया जाए। शराबी चालकों के अलावा ओवरलोड वाहन चालकों को भी कोर्ट में पेश किया जाता है।

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रफ्तार पर नियंत्रण और नशे की जांच भी जरूरी
जिले में सडक़ दुर्घटनाओं में अधिकांश मौत भारी वाहनों के चपेट में आने से होती है। साल 2018 की बात करें तो भारी वाहन से 183 दुर्घटनाएं हुई हैं। जिनमें 92 लोगों की मौत और 140 लोग घायल हुए हैं। वहीं इसी साल के जनवरी से सितंबर माह तक की बात करें तो भारी वाहन से 143 दुर्घटनाएं हुई हैं। जिसमें 55 लोगों की मौत और 111 लोग घायल हुए हैं। भारी वाहनों से दुर्घटनाओं के आंकड़े पुलिस अधिकारियों के पास भी है, लेकिन इस ओर कार्रवाई करने में पुलिस कोई रूचि नहीं दिखा रही है। ज्ञात हो कि अधिकांश भारी वाहन के चालक नशे की हालत में वाहन चलाते हैं और उनकी रफ्तार भी अधिक होती है। ऐसे में यातायात विभाग को ऐसे चालकों पर कार्रवाई करने की जरूरत है।ताकि दुर्घटनाओं में कुछ कमी आ सके।

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नए कानून के पहले ज्यादा थे सडक़ हादसे
इस साल सडक़ दुर्घटनाओं के आंकड़ों में कमी आई है, लेकिन सितंबर के पहले आठ माह की बात करें तो सडक़ दुर्घटनाओं का ग्राफ काफी बढ़ा है। अभी साल पूरा होने में दो माह बाकी हैं तब भी हादसों में मरने वालों की संख्या 214 पहुंच गई है। जबकि 2018 में मृतकों की संख्या 258 थी। अब इस साल के बचे दो माह में सडक़ दुर्घटना में मौत की संख्या पिछले साल की तुलना में बढ़ती या घटती है यह पुलिस की कार्रवाई पर निर्भर करता है। हालांकि पुलिस दुर्घटना को रोक नहीं सकती, लेकिन कार्रवाई व लोगों को जागरुक कर कुछ हद तक दुर्घटना के ग्राफ को कम कर सकती है।
2019 में हुए सडक़ दुर्घटना के आंकड़े

माहदुर्घटनामृतकघायल
जनवरी492241
फरवरी542644
मार्च612667
अप्रैल551955
मई482335
जून652773
जुलाई672960
अगस्त582652
सितंबर371630

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