शिकायतकर्ताओं ने बताया कि सड़क निर्माण के पूर्व बेस करना है। इसमें बेस के नाम पर एक से दो इंचका ही बेस दिया गया है। वहीं कांक्रीटीकरण सड़क की मोटाई भी कम होने की बात कही जा रही है। कांक्रीटीकरण सड़क में वायब्रेटर मशीन भी चलाया जाना है। निर्माण के मौके पर यह मशीन जरुर रखी गई है, लेकिन इसके लिए बिजली कनेक्शन का वायर कहीं नजर नहीं आ रहा है। शाम करीब चार बजे तक एक छोर की कांक्रीटीकरण पूरा हो चुका था और उक्त मशीन पास में ही रखी थी, लेकिन मशीन में कहीं भी सीमेंट का निशान तक नहीं है। ऐसे में यह अंदाजा लगाया जा रहा कि मशीन को चलाया ही नहीं गया है।
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रगड़ने से ही झड़ रहा प्लास्टर सड़क निर्माण के पूर्व बाउंड्रीवाल का निर्माण कर लिया गया है। बाउंड्रीवाल में प्लस्तर का कार्य शेष है। इसकी गुणवत्ता को लेकर भी सवाल खड़े किया जा रहा है। उक्त बाउंड्रीवाल में र्दो इंट के बीच हुई जोड़ाई को हल्का रगड़ने से रेत झड़ रहा है। स्टीमेट के लिए देना होगा आवेदन निर्माण कार्य के स्टीमेंट को लेकर जब संबंधित विभाग के इंजीनियर से संपर्क किया गया और उक्त स्टीमेंट की कापी मांगी गई तो संबंधित का कहना था कि इसके लिए विभाग में आवेदन करना पड़ेगा इसके बाद ही उक्त जानकारी मिल पाएगी।
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सीएमएचओ कार्यालय में चल रहे निर्माण पर गुणवत्ता को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। निर्माण कार्य के दौरान विभाग के तकनीकी जानकार की मौजुदगी आवश्यक है, लेकिन यहां निर्माण कार्य ठेकेदार के भरोसे हो रहा है। अधिकारी यह कह रहे हैं कि कार्य की अधिकता की वजह से सब जगह पर पहुंचना मुमकिन नहीं होता। विभागीय कार्य से बाहर होने की वजह से मौके पर नहीं पहुंच पाया था। गुणवत्ता की जांच के लिए क्यूब टेस्ट कराया जाएगा। – सुरेंद्र कुमार चंद्रा, साइट इंजीनियर, सीजीएमएससी
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