.com/political-news/cg-politics-mohan-markam-ignored-state-in-charge-selja-order-8333264/” target=”_blank”>CG Politics : विवादों में घिरा कांग्रेस, 48 घंटे बाद भी मरकाम ने नहीं माना प्रभारी सैलजा का आदेश, कार्यकर्ताओं में मची खलबली
आदिम इतिहास का शैलाश्रय सात जिलों में ही पाया गया है। इसमें एक जिला रायगढ़ से अलग होकर नया जिला बना सारंगढ़-बिलाईगढ़ है। इन सातों जिले में रायगढ़ में सबसे अधिक 18 स्थानों पर शैलाश्रय पाए गए हैं। इसके बाद कांकेर है, यहां सात शैलाश्रय पाए गए हैं। वहीं बस्तर में चार, और कोरिया में तीन शैलाश्रय पाए गए हैं, जबकि सरगुजा में दो व दुर्ग में एक शैलाश्रय पाया गया है। इनके संरक्षण पर प्रशासन उदासीन ही है। (cg news in hindi) हालात यह हैं कि जागरूकता व संरक्षण के अभाव में पिकनिक स्पॉट में जाकर लोग उसे खरोंच-खरोंच कर बर्बाद कर रहे हैं।
यहां तो निशां तक नहीं रायगढ़ से लगे टीपाखोल डैम क्षेत्र में भी शैलाश्रय मौजूद थे, लेकिन ये अब विलुप्त हो चुके हैं। बताया जा रहा है कि शहर से नजदीक होने के कारण डीपाखोल डैम लोग पिकनिक मनाने के लिए जाते थे और लोगों ने ही उसे खराब कर दिया। (chhattisgarh news) इसके अलावा महापल्ली मार्ग पर कबरा पहाड़ है। यहां आदिममानव द्वारा शैलचित्र जगह-जगह उकेरे गए हैं। यहां भी लोग पिकनिक मनाने के लिए पहुंचते हैं। शैलचित्र बने स्थान पर लोग खुरेद कर अपना नाम लिख उसे बर्बाद कर रहे हैं।
यहां पाए गए हैं शैलाश्रय जिले के धरमजयगढ़ क्षेत्र में शैलाश्रय ज्यादा मौजूद हैं। विभागीय अधिकारियों के अनुसार धरमजयगढ़ क्षेत्र में ओंगना, सोखामुड़ा, रौताइन भांठा, सुतीधार, (cg history news) भवरखोल, अमरगुफा पोटियां में शैलाश्रय हैं। इसके अलावा खरसिया क्षेत्र के सिंघनपुर, बोतल्दा, सोनबरसा, गीधा पहाड़, बसनाझर में भी शैलाश्रय हैं। इसे सहेजने और संवारने के लिए किसी प्रकार से प्रयास नहीं हो रहा है।