वहीं इनकी संख्या कम ज्यादा होती रहती है। इसके पीछे कारण यह है कि धरमजयगढ़ वन मंडल कोरबा व जिले से लगा हुआ है। ऐसे में हाथियों का दल कभी छाल से कभी कोरबा जिले में चले जाते हैं तो कभी यहां आते हैं। ऐसे में इनकी संख्या घटती बढ़ती रहती है। मौजूदा समय में धरमजयगढ़ वन मंडल में हाथियों की संख्या बढ़ कर 123 हो गई है। इसमें नर हाथियों की संख्या 38, मादा 54 व शावकों की संख्या 31 बताई जा रही है।
इसमें धरमजयगढ़ रेंज में 11 हाथियों की संख्या है। इस रेंज के क्रोंधा में 9 हाथियों का दल विचरण कर रहा है, जबकि बायसी व कोयलार में एक-एक हाथी है। क्रोंधा में विचरण कर रहे हाथियों के दल ने 2 किसानों की फसल को चौपट कर दिया है। वहीं इस वन मंडल के छाल रेंज में 73 हाथियों का दल विचरण कर रहा है। छाल रेंज अंतर्गत एडू के आरएफ क्रमांक 477 में 57 हाथियों का दल मौजूद है। वहीं पीएफ क्रमांक 479 में 10 हाथियों का दल विचरण कर रहा है। इसके अलावा लोटान में 2 व छाल, पुरुंगा, हाटी और बेहरामार में एक-एक हाथी विचरण रहा है। इसके अलावा बोरों रेंज 26 हाथियों का दल विचरण कर रहा है। बोरों रेंज अंतर्गत खम्हार में हाथियों के दल ने दो किसानों के धान, अरहर व अन्य फसल को नुकसान पहुंचाया है।
लोगों को किया जा रहा जागरूक इधर वन विभाग के अधिकारी भी हाथियों में रोकने में बेबस हैं। हालांकि विभाग की ओर से यह कहा जाता है कि वन अमला हाथियों पर लगातार नजर रखे हुए है। जहां भी हाथी मौजूद रहते हैं वहां के ग्रामीणों को मुनादी के माध्यम से अलर्ट किया जाता है। ताकि वे रात होने के बाद जंगल की ओर नहीं जाए। वहीं हाथियों से किसी प्रकार की छेड़खानी नहीं करने के लिए भी जागरूक करता है। इसके पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि हाथियों के साथ छेड़खानी होने पर ज्यादा नुकसान की संभावना रहती है।
कर रहे हैं रतजगा हाथियों को लेकर क्षेत्रवासियों में दहशत की स्थिति देखी जा रही है। शाम होने के बाद हाथी प्रभावित क्षेत्र वाले ग्रामीण अपने घरों में ही कैद हो जाते हैं। वहीं यदि आवश्यक कार्य से गांव से बाहर आना पड़ता है तो टोलियों में आते हैं। गांव के नजदीक हाथी होने की सूचना पर कई बार ग्रामीणों को टोली में रतजगा भी करना पड़ता है, ताकि गांव की ओर हाथी आए तो हो-हल्ला करते हुए उसे भगाया जा सके।