पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह ने मामले का खुलासा करते हुए बताया कि दो दिसंबर को कन्हैया ने अपने सहयोगी अगतराम रात्रे को 7 लाख और 6 लाख के हस्ताक्षर किए हुए दो सेल्फ चेक पैसे निकालने के लिए दिए थे। अगतराम रात्रे ने इसकी जानकारी अपने भाई और नगर पंचायत अध्यक्ष कार्तिक राम रात्रे को दिया। कन्हैया राठौर पेशे से ठेकेदार है जो जांजगीर-चांपा के अडभार में रहता है। वह नगर पंचायत में ठेकेदारी करता है और उसका बैंक एकाउंट एसबीआई खऱसिया में है।
आरोपी कार्तिक राम गांव के विकास देवागंन को बैंक से पैसे लाने के लिए बैंक भेज दिया। वहीं कार्तिक अपने भाई अगतराम के साथ तीन दिसंबर को स्कॉर्पियो SBI बैंक खरसिया पहुंचे। तीनों एक साथ बैंक के अंदर चेक कैस कराने गए। बैंक में सेल्फ चेक से विकास ने ₹6 लाख तथा अगतराम ने ₹7 लाख रूपये निकाले। विकास देवांगन 6 लाख रूपये ठेकेदार कन्हैया को देने के लिये अगतराम को देकर उसी समय बैंक में देकर चला गया। अगतराम 6 लाख रूपये को थैला में तथा 7 लाख को बैग में रखकर दोपहर करीब 12:50 बजे बैंक से कार्तिकराम रात्रे के साथ निकला। दोनों बैंक से 40 मीटर आगे गए ही थे कि बाइक सवार दो नकाबपोश वहां पहुंचे और अगतराम के पास पैसों से भरा झोला और बैग लूटकर फरार हो गए। अगतराम ने अपने साथ हुई लूट की रिपोर्ट खरसिया थाना में दर्ज कराई।
मामले में तत्काल कार्रवाई करते हुए पुलिस ने आसपास के सभी इलाके के सीसीटीवी कैमरों को खंगालने के साथ ही कार्तिकराम और अगतराम से पूछताछ किया। पूछताछ में कार्तिकराम पुलिस को गुमराह करने के लिए आरोपियों के भागने का गलत रास्ता बताया। सीसीटीवी फुटेज में अगतराम द्वारा बताए गए रास्ते से आरोपी बाइक में जाते हुए नजर आए। अगतराम और विकास देवांगन को पुलिस ने सीसीटीवी के फुटेज दिखाए, जिसमें उन्होंने आरोपी को पहचान लिया, आरोपी और कोई नहीं बल्कि कार्तिक राम के पुत्र विक्रम के रुप में किया।