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पिछले दिनों विधानसभा में इस मामले में जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई को लेकर ध्यानाकर्षण भी लगा था, लेकिन विभाग के आला अधिकारियों ने जांच जारी होने का हवाला देते हुए खानापूर्ति कर दिया। जानकारों की माने तो रेंजर व डिप्टी रेंजर का जवाब मिलने के बाद प्रतिपरीक्षण कर जांच रिपोर्ट शासन को भेजा जाना चाहिए, लेकिन जांच चलने का हवाला देते हुए जानबूझकर मामले को ठंडे बस्ते में डालकर दोनो ही अधिकारियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। वहीं इस मामले में डीएफओ गणेश यूआर से संपर्क किया गया लेकिन फोन की घंटी बजती रही और मैसेज का भी कोई जवाब नहीं मिला। फेरबदल तक नहीं किया गोमर्डा अभ्यारण्य में बाघ के शिकार के पूर्व भी कई वन्यप्राणियों के शिकार का मामला सामने आया है। इस घटना के बाद स्थानीय अधिकारियों द्वारा लंबे समय से एक ही जगह जमे होने का इस तरह की घटना का कारण बताया जा रहा है। पर अभी तक लंबे समय से जमे अधिकारियों का फेरबदल भी इस घटना के बाद नहीं किया गया है।
10 दिन बाद मिला था शव मामला सामने आने के बाद वन विभाग द्वारा जारी रिलीज में ही यह बताया गया था कि बाघ को लेकर लगातार मॉनिटरींग की जा रही थी, लेकिन आश्चर्य की बात तो यह है कि बाघ के मौत का मामला उसके शिकार होने व दफनाने के 10 दिनों बाद सामने आया। इससे रेंजर व डिप्टी रेंजर द्वारा किए जा रहे मॉनिटरींग पर सवाल उठ रहा है।
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