इतने लंबे समय बाद कार्रवाई तो दूर नोटिस तक नहीं हुआ जारी
रायगढ़। मार्कफेड में अजीबो-गरीब कहानी चल रहा है, समिति स्तर पर एक क्विंटल धान का शार्टेज आने पर सरकारी उसकी रिकवरी कराती है, लेकिन लोहरसिंह संग्रहण केंद्र में करोड़ों रुपए के धान का शार्टेज व बारदाने की गड़बड़ी जांच में प्रमाणित होने के बाद भी संग्रहण केंद्र प्रभारी पर कार्रवाई तो दूर नोटिस तक जारी नहीं किया गया है।
हर साल शासन समितियों पर ० शार्टेज के लिए दबाव बनाती है, अंत में कुछ कम होने पर बदले में धान जमा कराकर उसकी पूर्ति करती है और जीरो शार्टेज का दावा कर अपना पीठ थमपथपाती है, ठीक इसीप्रकार संग्रहण केंद्र में भी शार्टेज व अन्य तरह के नुकसान के लिए एक प्रतिशत की छूट दी गई है, लेकिन लोहरसिंह संग्रहण केंद्र में प्रभारी उत्तम कुमार चंद्रा के कार्यकाल वर्ष २०१९-२० व २०२०-२१ में करोड़ों रुपए का शार्टेल आया था। जांच रिपोर्ट में करीब १६ करोड़ रुपए के धान का शार्टेज बताया गया था इसके अलावा बारदाने में अलग से गड़बड़ी की गई थी, वर्ष २०२२ में शिकायत पर जांच के बाद रिपोर्ट राज्य सहकारिता एवं विपणन विभाग के प्रबंध संचालक को तत्कालीन डीएमओ सीआर जोशी, संग्रहण केंद्र प्रभारी उत्तम कुमार चंद्रा पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए अनुमोदन करते हुए रिपेार्ट भेजा था, लेकिन आश्चर्य की बात तो यह है कि इस मामले में न तो संबंधितों को नोटिस जारी हुआ , न कोई रिकवरी हुई और न ही कोई कार्रवाई किया गया। इनके लिए मार्कफेड के राजधानी में बैठे अधिकारियों ने सारे नियम कानून को ताक पर रख दिया।
धूल खा रही जांच रिपोर्ट की फाईल
एक तरफ जांच रिपेार्ट की फाईल राजधानी में बिना कार्रवाई के धूल खा रही है तो वहीं दूसरी ओर कुछ समय पूर्व उक्त संग्रहण केंद्र प्रभारी के स्थानांतरण आदेश शासन ने जारी किया था, इसका भी पालन आज तक नहीं किया गया , इसके बाद भी उच्च अधिकारी केंद्र प्रभारी पर मेहरबान दिख रहे हैं।
उल्टे कर दिया प्रोत्साहित
इतना होने के बाद भी विभाग के जिला स्तर से लेकर राजधानी स्तर तक के अधिकारी उक्त संग्रहण केंद्र प्रभारी पर कार्रवाई करने के बजाए उल्टे प्रोत्साहित करते हुए खाद भंडार गृह का दायित्व सौंप दिया गया।