रायबरेली

UP Panchayat Election Results 2021 : यूपी में कांग्रेस के आखिरी गढ़ को बचाने में जुटी प्रियंका, अमेठी की बची खुची उम्मीदें भी धूमिल

UP Panchayat Election Results 2021 : रायबरेली में जिला पंचायत अध्यक्ष के पद के लिए लड़ाई बहुत दिलचस्प है। यहां की अजा आरक्षित सीट पर कांग्रेस की बागी विधायक अदिति सिंह की भाभी अध्यक्ष का चुनाव लड़ सकती हैं। आखिर दलित सीट पर सवर्ण उम्मीदवार के पीछे की क्या है कहानी पढि़ए खबर…

रायबरेलीMay 04, 2021 / 07:50 pm

Hariom Dwivedi

जिले के कांग्रेसियों का कहना है कि पंचायत चुनावों में प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी के प्रतिनिधि किशोरी लाल की कोशिश थी कि रायबरेली में येन-केन-प्रकारेण जिला पंचायत अध्यक्ष कांग्रेसी ही होना चाहिए।

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
रायबरेली. UP Panchayat Election Results 2021 : पंचायत चुनावों ने कांग्रेस को बुरी तरह से निराश किया है। कांग्रेस महासचिव और उप्र की प्रभारी प्रियंका गांधी की कोशिशों का कोई खास असर नहीं दिखा। कई जिलों में पार्टी के एक भी पंचायत सदस्य नहीं जीत पाए हैं। राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र रहे अमेठी में उसे जिला पंचायत के सिर्फ दो सदस्यों की ही जीत से संतोष करना पड़ा है। जबकि, यूपी में कांग्रेस के आखिरीगढ़ और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में 33 पर पार्टी ने अपने उम्मीदवार उतारे थे। यहां उसे 12 सीटों पर सफलता मिली है। पार्टी यहां निर्दलीयों और सपा के सहयोग से अपना जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाने का दावा कर रही है।
कांग्रेस की बागी विधायक अदिति की मां और बहन भी जीतीं चुनाव
जिले के कांग्रेसियों का कहना है कि पंचायत चुनावों में प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी के प्रतिनिधि किशोरी लाल की कोशिश थी कि रायबरेली में येन-केन-प्रकारेण जिला पंचायत अध्यक्ष कांग्रेसी ही होना चाहिए। इसलिए पंचायत चुनावों की घोषणा के समय से ही गोटे बिछानी शुरू हो गयीं। इसी क्रम में कांग्रेस से सदर विधायक अदिति सिंह के चचेरे भाई मनीष सिंह की पत्नी आरती सिंह को जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ाया गया। हालांकि, कांग्रेस की बागी विधायक अदिति सिंह कीमां वैशाली सिंह और छोटी बहन देवांशी सिंह भी पंचायत चुनाव में बीडीसी के लिए निर्विरोध चुनी गई हैं। माना जा रहा है कि मां-बेटी में से कोई एक ब्लाक प्रमुख का चुनाव लड़ेगा।
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कौन हैं मनीष सिंह
मनीष के पिता अशोक कुमार सिंह दो बार रायबरेली के सांसद रह चुके हैं। अशोक सिंह अदिति सिंह के पिता अखिलेश सिंह के भाई थे। बताया जाता है कि अशोक और अखिलेश की आपस में कभी नहीं बनी। यह अनबन दोनों परिवारों में अब भी कायम है। हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है यह अदावत दिखावटी है। अंदर से पूरा परिवार एक है। …जो भी अंदरखाने यही चर्चा है कि कांग्रेस नेताओं ने प्रियंका को सलाह दी थी कि क्यों ने अदिति के चचेरे भाई को कांग्रेस से जोड़ा जाए और उन्हें साथ लिया जाए। इसी रणनीति के तहत मनीष की पत्नी को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया।
मनीष की पत्नी अजा कोटे से उम्मीदवार
रायबरेली की जिला पंचायत अध्यक्ष पद की कुर्सी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। मनीष सिंह की पत्नी आरती सिंह ने अमावा द्वितीय से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट से जिला पंचायत सदस्य के लिए चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। गौरतलब है आरती सिंह सलोन विधानसभा से सपा के पूर्व विधायक आशा किशोर की भतीजी हैं। आरती के बाबा भी कांग्रेस से विधायक रह चुके हैं। जबकि, आशा किशोर सलोन आरक्षित सीट से विधायक थीं। मनीष सिंह भी तीन बार विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं हालांकि, उन्हें सफलता नहीं मिली। क्षेत्र में चर्चा है कि आरती सिंह कांग्रेस की जिला पंचायत अध्यक्ष पद की उम्मीदवार होंगीं।
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भाजपा के भावी अध्यक्ष पराजित
जिला पंचायत सदस्य की कुल 52 सीटों में से इस बार भाजपा ने सभी पदों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। लेकिन, भाजपा समर्थित पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती सुमन सिंह और पूर्व विधायक राजाराम भारती हार गए हैं। सुमन सिंह विधान परिषद सदस्य दिनेश प्रताप सिंह की अनुज वधू हैं। भाजपा के इन दोनों दिग्गजों को समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों ने पटखनी दी है। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती सुमन सिंह हरचंदपुर तृतीय और पूर्व विधायक राजाराम भारती महाराजगंज प्रथम से चुनाव मैदान में थे। सुमन सिंह को समाजवादी पार्टी के युवा नेता आशीष चौधरी की मां शिव देवी चौधरी और पूर्व विधायक राजाराम भारती को सपा के पूर्व विधायक रामलाल अकेला के ब्लाक प्रमुख पुत्र विक्रांत अकेला ने हराया। भाजपा से जिला पंचायत अध्यक्ष पद के एक और दावेदार सलोन के बृजलाल पासी भी थे। यह चुनाव जीते हैं लेकिन चुनाव के बाद इनकी मृत्यु हो गई।
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निर्दलीयों की होगी अहम भूमिका
रायबरेली जिला पंचायत सदस्य के लिए कुल 52 सीटे हैं। रायबरेली जिला पंचायत अध्यक्ष का पद अनुसूचित जाति लिए आरक्षित है। कांग्रेस ने सिर्फ 33 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। उसके 12 प्रत्याशी जीते हैं। समाजवादी पार्टी 35 सदस्य चुनाव में खड़े थे। इसके 15 प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है। भाजपा ने सभी 52 पदों पर चुनाव लड़ा था। इनमें से भाजपा को 08 सीटों पर जीत मिली है। बहुजन समाज पार्टी ने 33 पदों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। उसका खाता नहीं खुल पाया है। कांग्रेस, भाजपा, समाजवादी पार्टी तीनों ने निर्दलीयों को भी समर्थन किया था। इसलिए बड़ी संख्या में निर्दलीय जीते हैं। अभी अधिकारिक घोषणा होना बाकी है।
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कुल सीट – 52
कांग्रेस- 12
सपा- 15
बसपा- 0
भाजपा- 08 जीती
निर्दलीय- 17

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