सपा विधायक के उठाए गए मुद्दे के जवाब में संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने एसपी रायबरेली की रिपोर्ट पढ़कर सुनाई। इसमें बताया गया कि रायबरेली में पीडब्लूडी के ठेकेदार आनंद कुमार ने रंगदारी न देने पर हमले के आरोप में छह लोगों पर पांच फरवरी को मुकदमा दर्ज कराया था। इसकी विवेचना में सपा विधायक मनोज पांडेय के प्रतिनिधि पंकज सिंह तथा उनके पुत्र पार्थ, नीरज सिंह और राकेश सिंह का नाम सामने आया। इस आधार पर पुलिस ने नीरज सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। नीरज सिंह से मिली जानकारी के आधार पर रायबरेली पुलिस ने पहले पंकज सिंह के घर और फिर उनकी ससुराल में दबिश दी। उनके न मिलने पर पुलिस उनकी पत्नी के भाइयों को पूछताछ के लिए ले आई।
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इस पर बिफरे विधायक मनोज पांडेय से सरकार से यह पूछा कि किस आधार पर पंकज सिंह को उनका प्रतिनिधि बताया जा रहा है जबकि उन्होंने कभी किसी व्यक्ति को अपना प्रतिनिधि बनाया ही नहीं। उन्होंने एसपी रायबरेली पर सदन में गलत रिपोर्ट देने का आरोप लगाते हुए इसे विशेषाधिकार हनन बताया। यह भी कहा कि यदि यह साबित हो जाए कि पंकज सिंह उनका प्रतिनिधि है तो वह विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दे देंगे।
इस पर बिफरे विधायक मनोज पांडेय से सरकार से यह पूछा कि किस आधार पर पंकज सिंह को उनका प्रतिनिधि बताया जा रहा है जबकि उन्होंने कभी किसी व्यक्ति को अपना प्रतिनिधि बनाया ही नहीं। उन्होंने एसपी रायबरेली पर सदन में गलत रिपोर्ट देने का आरोप लगाते हुए इसे विशेषाधिकार हनन बताया। यह भी कहा कि यदि यह साबित हो जाए कि पंकज सिंह उनका प्रतिनिधि है तो वह विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दे देंगे।
इस पर संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि इस बारे में वह शुक्रवार शाम तक ही एसपी रायबरेली से रिपोर्ट मांगेंगे। बाद में खन्ना ने एसपी रायबरेली से प्राप्त दूसरी रिपोर्ट को सदन के सामने पढ़ा। इसमें कहा गया था कि पहली रिपोर्ट में त्रुटिवश पंकज सिंह को विधायक का प्रतिनिधि बता दिया गया है। संसदीय कार्य मंत्री ने भी इस पर खेद जताया। विधान सभा अध्यक्ष ने इसे गंभीरता से लेते हुए एसपी रायबरेली को शनिवार को तलब किया है।
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने जनप्रतिनिधियों का फोन नहीं उठाने वाले अफसरों को कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि जो अफसर जन प्रतिनिधियों का फोन नहीं उठाते हैं। उन्हें कठिनाई हो सकती है। दरअसल, सपा विधायक लालजी वर्मा ने सदन में व्यवस्था के प्रश्न के तहत मुद्दा उठाया था। इसमें उन्होंने कहा कि आजकल मुख्यमंत्री से बात करना आसान है, लेकिन अफसरों के फोन रिसीव नहीं होते। इसपर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि समय-समय पर जनप्रतिनिधियों के प्रोटोकॉल को लेकर आदेश जारी किए जाते हैं। अफसरों को जनप्रतिनिधियों का फोन रिसीव करना चाहिए। अगर कोई अफसर फोन नहीं रिसीव करता है तो उसे कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है।