आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ ने 20 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय की मांग करते हुए कहा कि मौजूदा मानदेय इस महंगाई के दौर पर घर का खर्च चलाने में पर्याप्त नहीं है। इससे उन्हें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। इसके चलते कार्यकर्ताओं ने एक बार फिर आंदोलन की राह पर चलने का फैसला किया है। महिला आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ ने 22 मार्च से अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा कर दी है। महिला आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों ने डीएम के माध्यम से बाल विकास सेवा पुष्टाहार के निदेशक को ज्ञापन भेजा।
…तो 22 मार्च से अनिश्चितकाली हड़ताल पर जाएंगी आंगनबाड़ी
संघ के जिला प्रभारी राकेश कुमार शुक्ल ने कहा कि सात महीने से जिले की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को मानदेय नहीं मिला। किसी के घर में परिवारजन बीमार हैं तो किसी के यहां खाने के लाले पड़े है। उम्मीद थी कि होली पर मानदेय मिल जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पूरे जिले ने होली मनाई, लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिये यह त्यौहार फीका रहा। उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि 20 मार्च तक सभी आंगनबाड़ी कर्मचारियों को मानदेय और बकाया एरियर का भुगतान न किया गया तो 22 मार्च से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरु कर दी जायेगी। पूरे जिले के कार्यकर्ता काम ठप कर विकास भवन परिसर में धरना देंगे।
संघ के जिला प्रभारी राकेश कुमार शुक्ल ने कहा कि सात महीने से जिले की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को मानदेय नहीं मिला। किसी के घर में परिवारजन बीमार हैं तो किसी के यहां खाने के लाले पड़े है। उम्मीद थी कि होली पर मानदेय मिल जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पूरे जिले ने होली मनाई, लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिये यह त्यौहार फीका रहा। उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि 20 मार्च तक सभी आंगनबाड़ी कर्मचारियों को मानदेय और बकाया एरियर का भुगतान न किया गया तो 22 मार्च से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरु कर दी जायेगी। पूरे जिले के कार्यकर्ता काम ठप कर विकास भवन परिसर में धरना देंगे।
वर्षों से हो रहा है आंगबाड़ियों का शोषण : जिलाध्यक्ष
आंगनबाड़ी संगठन की जिलाध्यक्ष लीना पांडेय ने कहा कि कर्मियों का बीते कई वर्षों से शोषण किया जा रहा है। इसे अब बर्दाशत नहीं किया जाएगा। सरकार ने विधानसभा चुनाव के दौरान आंगनबाड़ी कर्मियों की समस्या का निस्तारण किया था। इसके बाद भी उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
आंगनबाड़ी संगठन की जिलाध्यक्ष लीना पांडेय ने कहा कि कर्मियों का बीते कई वर्षों से शोषण किया जा रहा है। इसे अब बर्दाशत नहीं किया जाएगा। सरकार ने विधानसभा चुनाव के दौरान आंगनबाड़ी कर्मियों की समस्या का निस्तारण किया था। इसके बाद भी उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
महामंत्री बोलीं- 20 हजार प्रतिमाह मानदेय से कम स्वीकार्य नहीं
महामंत्री सीता सिंह ने कहा कि विभाग की स्थापना दो अक्टूबर 1975 को हुई थी। उस समय आंगनबाड़ी कर्मियों का मानदेय 175 रुपए प्रतिमाह था। उसे वर्तमान उपभोक्ता मूल सूचनांक के आधार पर मानदेय निर्धारित किया जाए, जोकि 20 हजार रुपए प्रतिभाह हो। आंगनबाड़ी केंद्रों पर कुर्सी, मेज, अलमारी, वजन मशीन समेत कई अन्य जरूरी वस्तुओं के लिए धन आवंटित किया जाए। पंजीरी ढुलाई के लिए अतिरिक्त भाड़ा भी दिया जाए।
महामंत्री सीता सिंह ने कहा कि विभाग की स्थापना दो अक्टूबर 1975 को हुई थी। उस समय आंगनबाड़ी कर्मियों का मानदेय 175 रुपए प्रतिमाह था। उसे वर्तमान उपभोक्ता मूल सूचनांक के आधार पर मानदेय निर्धारित किया जाए, जोकि 20 हजार रुपए प्रतिभाह हो। आंगनबाड़ी केंद्रों पर कुर्सी, मेज, अलमारी, वजन मशीन समेत कई अन्य जरूरी वस्तुओं के लिए धन आवंटित किया जाए। पंजीरी ढुलाई के लिए अतिरिक्त भाड़ा भी दिया जाए।
पहले भी अपना चुकी हैं आंदोलन की राह
गौरतलब है कि इससे पहले भी कई बार अपनी मांगों को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की ओर से धरना-प्रदर्शन किया जाता रहा है। कुछ महीने पूर्व तो लगातार कई हफ्तों तक कार्यकर्ता आंदोलन करते रहे। विकास भवन में धरना दिया। इससे सरकार की तमाम योजनाएं प्रभावित हुईं। एक बार फिर से सभी ने संघर्ष का रास्ता अपनाया तो योजनाएं फिर ठप हो जायेंगी।
गौरतलब है कि इससे पहले भी कई बार अपनी मांगों को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की ओर से धरना-प्रदर्शन किया जाता रहा है। कुछ महीने पूर्व तो लगातार कई हफ्तों तक कार्यकर्ता आंदोलन करते रहे। विकास भवन में धरना दिया। इससे सरकार की तमाम योजनाएं प्रभावित हुईं। एक बार फिर से सभी ने संघर्ष का रास्ता अपनाया तो योजनाएं फिर ठप हो जायेंगी।