पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी की बहुचर्चित आलेखमाला है – शरीर ही ब्रह्माण्ड।
Gulab Kothari Article Sharir Hi Brahmand: आत्मा ही शरीर का चालक है। परा प्रकृति का क्षेत्र है। शरीर अपरा-जड़-क्षेत्र है। हम शरीर का ही अस्तित्व मानकर जीते हैं, कर्म करते हैं। आत्मा को जानने के प्रश्न हमारे मन में उठते ही नहीं। हां, शास्त्रों को सुनते समय हम आत्मा का विवेचन भी सुनते हैं, किन्तु स्वयं से जोड़ नहीं पाते। अपने से भिन्न किसी वस्तु को आत्मा मान लेते हैं। शरीर ही ब्रह्माण्ड शृंखला में सुनें पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी का यह विशेष लेख- अन्न है उत्पत्ति और विनाश का कारक
जयपुर•Dec 13, 2024 / 09:04 pm•
Hemant Pandey
अन्न पोषक तत्त्व को कहते हैं। जो पोषण करता है। शरीर का पोषण अन्न का पार्थिव भाग करता है। मन का पोषण चन्द्रमा एवं अन्य प्राणी का मन करता है।
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