जिन्होंने दी थी सहमति, उन्होंने हाथ खड़े किए
जिले के गन्ना उत्पादक किसान गन्ने का समर्थन मूल्य बढ़ाने की मांग को लेकर समय-समय पर धरना प्रदर्शन करते हैं। जिन किसानों ने गन्ना की फसल लेने सहमति दी थी, उन्होंने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। अब शासन को ही गन्ना उत्पादक किसानों के साथ चर्चा कर इस पर पहल करने की जरूरत है। बीते साल 1100 हेक्टेयर में गन्ने की फसल ली थी, लेकिन इस साल रकबा 1000 हेक्टेयर हो गया है।
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नए किसान नहीं हो रहे तैयार, पुराने किसान भी उखाड़ रहे फसल
विभागीय जानकारी के मुताबिक इस साल गन्ना उत्पादन के लिए नए किसान बहुत ही कम तैयार हो रहे हैं। कुछ पुराने किसान गन्ना फसल उखाड़ कर धान की खेती कर रहे हैं। किसानों को जागरूक किया जा रहा है। गन्ना फसल के फायदे भी बता रहे हैं।
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रकबा बढ़ाने में नहीं मिल रही सफलता
शक्कर कारखाना जब से बना है तब से अन्य जिले के भरोसे चल रहा है। हर साल दावा किया जाता है रकबा बढ़ाएंगे, लेकिन अभी तक सफल नहीं हुए है। आखिर वह दिन कब आएगा, जब सिर्फ जिले के किसानों की बदौलत शक्कर कारखाना का संचालन होगा।
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धान की तरह बढ़ाएं समर्थन मूल्य
जिला गन्ना उत्पादन किसान संघ के संरक्षक छगन देशमुख ने कहा कि वर्तमान में गन्ना उत्पादक किसान उपेक्षा के शिकार हैं। सरकार धान का समर्थन मूल्य बढ़ा रही है, लेकिन गन्ना का नहीं। गन्ने का समर्थन मूल्य भी 550 रुपए प्रति क्विंटल करे। गन्ना किसानों की सुध सरकार ले तो जिले में रकबा बढ़ेगा। नहीं तो लगातार घटता जाएगा।
किसानों को जागरूक कर रहे हैं
शक्कर कारखाना के एमडी राजेंद्र प्रसाद राठिया ने कहा कि गन्ना का रकबा कम होना चिंता का कारण जरूर है। हमारी कोशिश है कि रकबा बढ़ाएं। किसानों को जागरूक भी कर रहे हैं।