नामांकन के लिए पर्चा खरीद चुकी हैं अभिलाषा
योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल नंदी की पत्नी अभिलाषा गुप्ता लगातार 2012 से प्रयागराज की मेयर हैं। वह इस बार भी मेयर का चुनाव लड़ना चाहती हैं, इसके लिए उन्होंने पर्चा भी खरीद लिया हैं। लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की बैठक में मंत्रियों, विधायकों और सांसदों के रिश्तेदारों को टिकट देने से इंकार के बाद सवाल उठता है कि क्या वह पार्टी के खिलाफ जाकर चुनाव लड़ेगी? या पार्टी उनके लिए कोई दूसरा रास्ता निकालेगी।
योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल नंदी की पत्नी अभिलाषा गुप्ता लगातार 2012 से प्रयागराज की मेयर हैं। वह इस बार भी मेयर का चुनाव लड़ना चाहती हैं, इसके लिए उन्होंने पर्चा भी खरीद लिया हैं। लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की बैठक में मंत्रियों, विधायकों और सांसदों के रिश्तेदारों को टिकट देने से इंकार के बाद सवाल उठता है कि क्या वह पार्टी के खिलाफ जाकर चुनाव लड़ेगी? या पार्टी उनके लिए कोई दूसरा रास्ता निकालेगी।
भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ेंगी अभिलाषा
इस मामले में पत्रिका यूपी ने जब कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल नंदी और उनकी पत्नी अभिलाषा से बात करने की कोशिश की तो उनसे बात नहीं हो पाई। लेकिन सवाल उठता है कि अगर BJP अभिलाषा को टिकट नहीं देती है तो वह पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगी या पार्टी के फैसले को मान लेंगी।
BJP ने अभी नहीं किया नाम का ऐलान
बता दें कि प्रयागराज में मेयर के चुनाव के लिए 15 अप्रैल से नामांकन होना है। लेकिन BJP ने अभी तक वहां पर अपने प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। ऐसे में अभिलाषा को टिकट मिलने की पूरी उम्मीद हैं, इसके लिए वह लखनऊ से लेकर दिल्ली तक लगातार दौड़ रही हैं। अब देखना है कि भाजपा दो बार से प्रयागराज की मेयर को टिकट देगी या उनका टिकट काटेगी।
बता दें कि प्रयागराज में मेयर के चुनाव के लिए 15 अप्रैल से नामांकन होना है। लेकिन BJP ने अभी तक वहां पर अपने प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। ऐसे में अभिलाषा को टिकट मिलने की पूरी उम्मीद हैं, इसके लिए वह लखनऊ से लेकर दिल्ली तक लगातार दौड़ रही हैं। अब देखना है कि भाजपा दो बार से प्रयागराज की मेयर को टिकट देगी या उनका टिकट काटेगी।
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मजबूरी में कोर कमेटी लेगी फैसलाप्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि निकाय चुनाव में पार्टी सैद्धांतिक रूप से किसी भी मंत्री, सांसद या विधायक के परिजन को प्रत्याशी नहीं बनाएगी। जहां कहीं चुनाव जीतने के लिए परिजन को प्रत्याशी बनाना जरूरी होगा, उसके बारे में निर्णय प्रदेश कोर कमेटी करेगी।