उसके बाद 2017 में कमल का फूल खिला है। अब 2022 के चुनाव में समाजवादी पार्टी और भाजपा के बीच टक्कर नजर आने लगी है। लेकिन अभी दोनों पार्टियों ने उम्मीदवार नहीं फाइनल किया है। आइए जानते फाफामऊ विधानसभा का सियासी और जातीय समीकरण….
ये हैं फाफामऊ विधानसभा के प्रबल दावेदार प्रयागराज के फाफामऊ विधानसभा सीट पर अलग-अलग पार्टी के अलग-अलग दावेदार टिकट के लखनऊ में डेरा बना लिया है। समाजवादी पार्टी से पूर्व मंत्री अंसार अहमद, दूधनाथ पटेल, आदिल हमजा, मनोज पांडेय और उमेश पाल प्रबल दावेदार हैं। लेकिन समाजवादी पार्टी ने अब तक फाफामऊ से किसी भी उम्मीदवार को मैदान में नहीं उतारा है। इसी तरह भाजपा भी विचार विमर्श करने में जुटी है। बहुत जल्द दोनों पार्टियां अपने-अपने उम्मीदवार की घोषणा करेंगी।
ये हैं फाफामऊ सीट पर 2017 के परिणाम फाफामऊ विधानसभा सीट पर वर्तमान में सीट पर कब्जा है। बीजेपी से विक्रमाजीत को 83 हजार वोट मिले और जीत दर्ज किया था। दूसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी से सपा के अंसार अहमद को 57 हजार वोट मिले थे। वहीं बीएसपी के मनोज को करीब 52 हजार वोट मिले थे। लोकदल को 2500, राष्ट्रीय लोकदल को 1500 वोट और निर्दलीय लड़े राजकुमार को 3 हजार वोट मिले थे।
फाफामऊ सीट पर 2012 के जाने परिणाम फाफामऊ सीट पर 2012 में समाजवादी पार्टी के अंसार अहमद 52 हजार वोट पाकर जीत दर्ज किया था। वहीं दूसरे नंबर पर बीएसपी के गुरु प्रसाद मौर्य को 46 हजार वोट मिले थे। निर्दलीय मनोज पांडेय को 21 हजार वोट मिले थे। बीजेपी चौथे नंबर पर थी और 17 हजार वोट मिले थे।
फाफामऊ क्षेत्र का सियासी और जातीय समीकरण इस विधानसभा सीट की बात करें तो 1991 उपचुनाव के बाद बीजेपी सीधे 2017 में जीती दर्ज की। 2012 के अलावा सपा कभी नहीं जीत पाई थी। 1989, 1993 और 2007 में बीएसपी सबसे ज्यादा जीती थी। एक बार 2002 में अपना दल, 1996 में कांग्रेस का कब्जा था। ऐसा भी हुआ था कि 1974 के बाद कोई भी मौजूदा विधायक नहीं जीता था।
जातीय समीकरण इस विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा यादव वोटर करीब 70 हजार के बीच हैं। मुस्लिम वोटर्स की संख्या भी 50 हजार के पार है। 50 हजार ब्राह्मण वोटर है। 40 हजार से ज्यादा दलित वोटर है। ओबीसी से 40 हजार पटेल, 30 हजार मौर्य हैं। जिधर दलित वोटरों का मतदान हुआ वही विजयी होता है।