मगरमच्छ पालने के सवालों पर यह दिया जवाब मगरमच्छ पालने के सवालों पर राजा भैया ने कहा कि यह सवाल हर कोई पूछता है। लेकिन सच बात यह है कि कोठी के बगल गंगा बहती है और तालाब से जुड़ा है। ऐसे में कभी-कभी मगरमच्छ भी आ जाते थे। राजा भैया ने कहा कि जो भी मछली पकड़ने से जुड़ा है, वह मगरमच्छों को क्यों पालेगा। इसके अलावा यहां एक गांव और एक तालाब है। किसी भी जीव का प्रवेश वर्जित नहीं है। दरअसल पास में ही गंगा बहती है। गंगा में मगरमच्छों की एक बहुत ही लोकप्रिय प्रजाति है। कभी-कभी वो आते हैं तो कुछ कर नहीं पाते। लेकिन यह वास्तव में “घड़ियाल” है, मगरमच्छ नहीं।
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कंकाल की कहानी है झूठी मीडिया के सवालों पर जवाब देते हुए राजा भैया ने कहा कि मानव कंकाल की बात एक झूठी कहानी है। तालाब में कोई भी कंकाल नहीं मिला है। गांव में एक ही तालाब है और गंगा से सटा हुआ है। गांव में गरीब लोग हैं जिनके पास अंतिम संस्कार करने के लिए लकड़ी खरीदने के पैसे नहीं होते हैं। गंगा घाट होने की वजह से किसी मनाही नहीं है इसीलिए अंतिम संस्कार होने की वजह से अस्थियों की हड्डी मिल ही जाती है। उस समय जो वर्तमान में सरकार थी उसने सिर्फ बदनाम करने के लिए साजिश रची थी। यह भी पढ़ें