चुनाव के होते हैं दो रूप विधानसभा हो या फिर लोकसभा हो इस मैदान में कूदने वालो को हार या फिर जीत का सामना करना पड़ता है। इस जंग में सिर्फ दो ही रूप होते हैं। विजयी होने पर प्रत्याशियों और समर्थकों में जश्न का माहौल और हार होने पर कुछ लोगों के प्रति मन में कटुता स्वाभाविक है। ऐसे ही यमुनापार के मेजा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव हारीं भाजपा की प्रत्याशी नीलम करवरिया के फेसबुक प्लेटफार्म पर उनकी काव्यात्मक व्यथा ने शुभचिंतकों को झकझोरा दिया। इस पोस्ट को समर्थकों ने सोशल मीडिया वायरल कर दिया। इस पोस्ट को लगभग 2 हजार से अधिक लोगों ने शेयर किया है।
नीलम करवरिया द्वारा लिखा गया पोस्ट ‘वो क्या समझे मैं टूट गया, शीशे की तरह मैं फूट गया मैं बिखर गया मैं सिमट गया, मैं कमजोर नहीं मैं कमजोर नहीं। तुम्हारा साथ मुझे देता है हौसले हजार
सच्चाई पर रहकर लड़ने का साहस है मुझमें जनसेवा है कार्य मेरा, यदि है तो बस यह ही है अपराध मेरा… बस कालचक्र में फंसा हूं मैंं पर हारा अभी नहीं हूं मैं
मैं चला अंत वीरान की ओर, बस थोड़ा विश्राम की ओर सौंप तुम्हें सबजन की डोर, हटेगा अंधकार होगा एक दिन प्रकाश मैं एक दिन आऊंगा, करो बस मेरा इंतजार…।
कविता से किया दर्द बयां भाजपा की पूर्व विधायक और भाजपा प्रत्याशी नीलम करवरिया ने हार के बाद फेसबुक पर पोस्ट और कविता के माध्यम से दर्द को बयां किया है। मेजा सीट से नीलम करवरिया ने सपा प्रत्याशी संदीप पटेल से चुनाव हराने के बाद यह दर्दभरी कविता लिखा है।
पति के जेल जाने के बाद जीता था चुनाव नीलम करवरिया के पति उदयभान के जेल जाने के बाद 2017 में भरपूर समर्थन देते हुए विधानसभा चुनाव जिताया था और 2022 में भी मतदाता साथ रहे, लेकिन तकदीर को कुछ और ही मंजूर था। फिर भी नीलम करवरिया ने इस कविता के माध्यम से लोगों वापस आने के लिए अपील की है। इसके साथ ही करवरिया बंधुओं का राजनीति से वर्षों का नाता रहा है।
नीलम करवरिया के पति उदयभान करविया मेजा से विधायक रहे तो उनसे छोटे भाई कपिल मुनि करविया फूलपुर लोकसभा सीट पर सांसद रहे और इसके बाद सबसे छोटे भाई सूरज भान करविया का भी राजनीति से नाता रहा है। लेकिन तीनों भाइयों के जेल में बंद होने के बाद से उदयभान की पत्नी नीलम करवरिया ने राजनीति को संभाला और 2017 में विधानसभा में जीत मिली, लेकिन 2022 में हार का सामना करना पड़ा।