प्रयागराज

आत्मनिर्भर भारत की तरफ बढ़ रही हैं प्रयागराज की ये महिलाएं, जाने किस खेती को करने से बनी लखपति

आज आप को बताते हैं क्या है लाख की खेती और कितना मुनाफा मिलता है। इसी क्रम में प्रयागराज कोरांव तहसील की रहने वाली बरनपुर निवासी निर्मला देवी कोल लाख की खेती कर रही है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार आदिवासी समाज से आने वाली निर्मला कोल ने बताया कि एक समय था जब मेरा पूरा अर्थिल संकटों से जूझ रहा था। घर में 100 रुपये भी नहीं थे जिससे परिवार का पेट पाल सकें।

प्रयागराजMar 08, 2022 / 03:15 pm

Sumit Yadav

आत्मनिर्भर भारत की तरफ बढ़ रही हैं प्रयागराज की ये महिलाएं, जाने किस खेती को करने से बनी लखपति

प्रयागराज: आर्थिक रूप मजबूत होना हर कोई सोचता है। भारत सरकार के आत्मनिर्भर भारत का जीता जागता उदहारण प्रयागराज में देखने को मिल रहा है। कोरोंव क्षेत्र की रहने वाली महिलाएं लाख खेती करने में अग्रणी भूमिका निभा रहीं है। आज आप को बताते हैं क्या है लाख की खेती और कितना मुनाफा मिलता है। इसी क्रम में प्रयागराज कोरांव तहसील की रहने वाली बरनपुर निवासी निर्मला देवी कोल लाख की खेती कर रही है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार आदिवासी समाज से आने वाली निर्मला कोल ने बताया कि एक समय था जब मेरा पूरा अर्थिल संकटों से जूझ रहा था। घर में 100 रुपये भी नहीं थे जिससे परिवार का पेट पाल सकें। लेकिन आज इस खेती के माध्यम से लाखों रुपए की आमदनी हो रही है।
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महिलाओं का रुझान बढ़ा

कोरोंव की रहने वाली महिला निर्मला ने पहले अकेले लाख की खेती शुरू की थी। लेकिन आज उस गांव की महिला जो धान, गेंहू, चना, मटर की परंपरागत खेती करती थी वह आज लाख की खेती करने में बिजी हैं और अच्छा मुनाफा कमा रही हैं। इन महिलाओं ने अपनी मेहनत से आर्थिक संकट से निपटने और महिलाओं के लिए आत्मनिर्भर भारत की मिसाल पेश कर रहीं है।
लाखों रुपए कमा रही हैं महिलाएं

लाख की खेती करने वाली महिलाएं तीन सौ से अधिक बेर का पेड़ लगाया और लाख की खेती करके ये तीन लाख से अधिक कमाई कर रहीं हैं। महिलाओं ने इन पेड़ों से दस कुंतल से अधिक लाख की पैदावार की है। आदिवासी समाज से आने वाली महिला निर्मला ने बताया कि घर और परिवार को आर्थिक संकट से मुक्त कराने के लिए रोजगार के लिए सोचने लगी और लाख की खेती के बारे में सोचा। इसके बाद खेती पूरी मेहनत से शुरू कर दी और धीरे-धीरे मुनाफा मिलने लगा। फिर तो बेहतर तरीके से जीवन यापन होने लगा है।
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गांव की महिलाओं को जोड़ा

बताया कि आसपास की अन्य महिलाओं की दशा भी खराब थी उनको भी प्रशिक्षण दिलाकर अपने साथ जोड़ लिया है। रेखा, जयराजी, राजकली, बिटोला, फूलवाती, फुलवन्ता देवी, रजवन्तिया, रेखा देवी, बेलाकली,राजकुमारी,उमरी के साथ मिलकर लाख की खेती की है। इस बार सभी महिलाएं एक साथ होकर पांच सौ से अधिक पेड़ लगाए हैं। निर्मला ने बताया कि लाख तैयार होने के बाद कहीं जाना नहीं पड़ता है बल्कि निजी कंपनी के घर से खरीदकर ले जाते हैं। प्रतिकिलो 500 रुपये में बिकता है।

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