प्रयागराज

Mahakumbh 2025: महाकुंभ से पहले अखाड़ों में बही बदलाव की बयार, 53 महिलाओं को दी जाएगी बड़ी जिम्मेदारी

Mahakumbh 2025: यूपी के प्रयागराज में महाकुंभ 2025 में धार्मिक परंपरा का अनुगामी बनकर आगे बढ़ रहे अखाड़ों में भी बदलाव हो रहा है। इस बार महाकुंभ में 53 महिलाओं को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।

प्रयागराजNov 09, 2024 / 05:06 pm

Vishnu Bajpai

Mahakumbh 2025: महाकुंभ से पहले अखाड़ों में बही बदलाव की बयार, 53 महिलाओं को दी जाएगी बड़ी जिम्मेदारी

Mahakumbh 2025: महाकुंभ में जन आस्था का सबसे बड़ा आकर्षण यहां आने वाले हिंदू सनातन धर्म के 13 अखाड़े और उनका शाही स्नान होता है। धार्मिक परंपरा का अनुगामी बनकर आगे बढ़ रहे सनातन धर्म के इन अखाड़ों में भी धीरे-धीरे बदलाव हो रहा है। महाकुंभ में हिंदू सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करने वाले अखाड़ों में पर्यावरण संरक्षण और नारी शक्ति को बड़ी जिम्मेदारी देने का एजेंडा शामिल हो गया है।

योगी सरकार ने लिया प्लास्टिक फ्री और ग्रीन कुंभ का संकल्प

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के कुंभ आयोजन से जुड़े दृष्टिकोण की प्रेरणा ने अखाड़ों के बदलाव में भूमिका निभाई है। प्रयागराज महाकुंभ को प्लास्टिक फ्री और ग्रीन कुंभ के रूप में आयोजित करने का योगी सरकार ने संकल्प लिया है। एक तरफ जहां कुंभ मेला प्रशासन इसके लिए निरंतर प्रयत्न कर रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ अखाड़ों और संतों के महाकुंभ के एजेंडे में भी सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के साथ पर्यावरण संरक्षण का एजेंडा शामिल हो गया है।
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5 अक्टूबर को हुई अखाड़ा परिषद की बैठक में लिया गया निर्णय

निरंजनी अखाड़े के प्रयागराज स्थित मुख्यालय में 5 अक्टूबर को आयोजित हुई अखाड़ा परिषद की बैठक में पारित संकल्प प्रस्ताव में पर्यावरण संरक्षण भी एक बिंदु था। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी बताते हैं कि प्रकृति है, तो मनुष्य है । इसलिए प्रकृति को बचाए रखने के लिए पर्यावरण संरक्षण का विषय महत्वपूर्ण है। महाकुंभ 2025 में इस बार अखाड़ों के संत भी लोगों को इसके लिए जागरूक करेंगे। इसके अलावा महाकुंभ में संतों और श्रद्धालुओं से प्लास्टिक और थर्मोकोल के बर्तनों के बजाय दोना पत्तल और मिट्टी के बर्तनों को बढ़ावा देने की अपील की जाएगी और इसके लिए योजना बनाई जा रही है।

जानिए कैसे सामने आया अखाड़ों का अस्तित्व

आदि शंकराचार्य ने बौद्धिक और सैन्य भावना से लैस ब्राह्मण और क्षत्रिय परिवारों से तरुण युवाओं को एकत्र कर राष्ट्र और संस्कृति की रक्षा के लिए जो सेना तैयार की, उन्हीं से 13 अखाड़ों का अस्तित्व सामने आया। अपनी धार्मिक परंपरा के अनुसार लंबे समय से सनातन धर्म के ये अखाड़े अपनी धार्मिक यात्रा तय कर रहे हैं।
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साल 2019 के बाद अखाड़ों में दिखी बदलाव की बयार

योगी सरकार के 2019 के भव्य, दिव्य और स्वच्छ कुंभ के आयोजन में अखाड़ों में बदलाव की बयार देखने को मिली। वंचित और दलित वर्ग से आने वाले साधु संतों को भी अखाड़ों में बड़े पदों पर आसीन किया गया। सबसे पहले दलित समाज से आने वाले जूना अखाड़े के संत कन्हैया प्रभुनंद गिरी को 2019 में जूना अखाड़े का महा मंडलेश्वर बनाया गया। इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए इस महाकुंभ में 450 से अधिक वंचित और दलित समाज से आने वाले संतों को महा मंडलेश्वर, महंत और मंडलेश्वर जैसी उपाधियां दी जाएंगी।

जूना अखाड़े में 370 दलितों को बनाया महामंडलेश्वर

जूना अखाड़े के संरक्षक महंत हरि गिरी की अगुवाई में इस साल महाकुंभ में जूना अखाड़े में 370 दलित महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, महंत और पीठाधीश्वर बनाया जाना है, जिसकी सूची तैयार है। श्री पंचायती अखाड़ा उदासीन निर्वाण के श्री महंत दुर्गादास बताते हैं कि उनके अखाड़े में भी इस महाकुंभ में वंचित और दलित समाज से संबंध रखने वाले साधुओं को उच्च स्थान देने की तैयारी है।
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मातृशक्ति को अखाड़ों में माना जाता है पूजनीय

श्री पंचायती अखाड़ा महा निर्वाणी के सचिव महंत जमुना पुरी का कहना है अखाड़ों में आए इस बदलाव के पीछे उत्तर प्रदेश के संत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की वंचित समाज से आने वाले महात्माओं को भी योग्यतानुसार अखाड़ों में सम्मानित करने और उन्हें पदासीन करने की प्रेरणा भी है। सनातन धर्म को संरक्षित करने के लिए देश ही नहीं, दुनिया भर से वंचितों को जोड़ने की आवश्यकता है। अखाड़े शिव और शक्ति का प्रतीक हैं। मातृ शक्ति को हमेशा को अखाड़ों का पूजनीय माना गया है। सनातन धर्म की ध्वजा फहराने में भी नारी शक्ति किसी से पीछे नहीं हैं।

53 महिला संतों को इस बार बनाया जाएगा महंत और महामंडलेश्वर

प्रयागराज में 2019 में आयोजित कुंभ में देश और प्रदेश में नारी सशक्तिकरण की गूंज का असर देखने को मिला और बड़ी संख्या में महिला संतों को महामंडलेश्वर के पद पर विभूषित करते हुए उनका पट्टाभिषेक किया गया। निर्मोही अनि अखाड़े के सचिव महंत राजेंद्र दास का कहना है कि पिछले कुंभ मेले में आठ विदेशी महिलाओं को महंत बनाया गया था। इस महाकुंभ में नारी शक्ति को बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी, ताकि चारों दिशाओं में सनातन का प्रचार प्रसार हो सके। विभिन्न अखाड़ों की तरफ से 53 महिला संतो को इस बार महंत व महा मंडलेश्वर बनाने की तैयारी है।

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