दिसंबर, 2021 को हुए गिरफ्तार आरोपी पीयूष जैन विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, अतिरिक्त मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट-थ्री कानपुर नगर की अदालत में आपराधिक मामला संख्या 7646 ऑफ 2022 में जमानत पर रिहा होने की मांग कर रहे थे। पिछले साल 22 दिसंबर को डीजीजीआई की टीम ने कन्नौज और कानपुर में पीयूष जैन के आवासीय और आधिकारिक परिसरों की तलाशी ली थी जो 28 दिसंबर तक जारी रही। जैन को 26 दिसंबर, 2021 को गिरफ्तार किया गया था।
यह भी पढ़े – सीएम योगी नाराज, ड्यूटी में लापरवाही के लिए 73 अफसरों को नोटिस, होगा ऐक्शन पीयूष जैन कहा, वह कई बीमारियों से पीड़ित पीयूष जैन ने कहाकि, वह ग्लूकोमा, अनिद्रा, उच्च रक्तचाप की बीमारियों से ग्रसित हैं। इसका इलाज चल रहा है। उन्होंने जमानत याचिका में कहा कि, उन्होंने कर, ब्याज और जुर्माने के रूप में पहले ही 54.09 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया था और ये भी कहा था कि, अगर और भी भुगतान बाकी है तो वो भी दे देंगे।
यह भी पढ़े – यूपी में कोरोना टेस्ट कभी भी हो सकता है बंद, सिर्फ पांच दिन का वीटीएम शेष हिरासत में पूछताछ की मांग नहीं हुई इसके अलावा, पीयूष जैन पहले ही आठ महीने से अधिक समय जेल में बिता चुका था और इस अवधि के दौरान विभाग ने उससे हिरासत में पूछताछ की मांग नहीं की थी। जिससे पता चलता है कि उसकी हिरासत की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं थी और इसलिए उसे जमानत पर रिहा किया जा सकता है।
आरोप गंभीर पर बेल से इनकार जरूरी नहीं हाईकोर्ट ने जमानत अर्जी की अनुमति देते हुए कहाकि, भले ही आरोप गंभीर आर्थिक अपराध में से एक है। पर यह नियम नहीं है कि हर मामले में जमानत से इनकार किया जाना चाहिए क्योंकि विधायिका द्वारा पारित प्रासंगिक अधिनियम में ऐसी कोई रोक नहीं है।