अखाड़ों के संतों के नगर प्रवेश के साथ ही आज से प्रयागराज कुंभ की अनौपचारिक शुरुआत हो गई है। जुलूस में सबसे आगे घोड़ों पर सवार ढोल पीटकर लोगों को अपने आगमन का संदेश देते नागा सन्यासी थे। उनके पीछे जूना अखाड़े के आराध्य भगवान दत्तात्रेय की स्थापित मूर्ति थी।
धर्मध्वजा के साथ पहुंचे सन्यासी
Prayagraj mahakumbh: अखाड़े की धर्म ध्वजा भी इस शाही जुलूस में शान से लहरा रही थी। शाही जुलूस में सबके आकर्षण का केंद्र किन्नर अखाड़े के संत रहे। किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण और महामंडलेश्वर साध्वी कौशल्यानंद गिरि का दर्शन करने उनका आशीर्वाद पाने के लिए लोगों में जबरदस्त उत्सुकता रही।
Prayagraj mahakumbh: अखाड़े की धर्म ध्वजा भी इस शाही जुलूस में शान से लहरा रही थी। शाही जुलूस में सबके आकर्षण का केंद्र किन्नर अखाड़े के संत रहे। किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण और महामंडलेश्वर साध्वी कौशल्यानंद गिरि का दर्शन करने उनका आशीर्वाद पाने के लिए लोगों में जबरदस्त उत्सुकता रही।
साधु संतों का शहर में भव्य प्रवेश
करीब ढाई हजार साल पुरानी परंपरा को निभाते हुए जूना अखाड़े के सन्यासियों के कुम्भ मेला आगमन को शाही अंदाज देने के लिए देश के कई हिस्सों से बैंड पार्टियां बुलाई गई थीं। इसमें तमाम संत घोड़ों पर जयकारे लगाते हुए सवार थे तो महामंडलेश्वर और दूसरे संत रथों पर रखे चांदी के हौदों पर सवार थे।
करीब ढाई हजार साल पुरानी परंपरा को निभाते हुए जूना अखाड़े के सन्यासियों के कुम्भ मेला आगमन को शाही अंदाज देने के लिए देश के कई हिस्सों से बैंड पार्टियां बुलाई गई थीं। इसमें तमाम संत घोड़ों पर जयकारे लगाते हुए सवार थे तो महामंडलेश्वर और दूसरे संत रथों पर रखे चांदी के हौदों पर सवार थे।
जूना अखाड़े के रमता पंच, दोनों अखाड़ों के संत और साथ आए करीब एक हजार साधू- संत अब संगम क्षेत्र में ही रूक कर अखाड़े के लिए मेले का इंतजाम करेंगे. अखाड़े के यही लोग धर्म ध्वजा स्थापित करने और अखाड़े की पेशवाई की भी व्यवस्था करेंगे. जूना और किन्नर अखाड़े के इन साधुओं का शाही प्रवेश देखने के लिए शहर में जगह- जगह लोगों की भारी भीड़ मौजूद थी.
14 दिसंबर को होगी पेशवाई
संतो के नगर आगमन पर कोई नमन कर रहा था तो कोई फूल चढ़ाकर अखाड़े के इन सन्यासियों का दर्शन करते हुए इनका आशीर्वाद ले रहा था। महाकुंभ क्षेत्र में जूना और किन्नर अखाड़े की पेशवाई 14 दिसंबर को होगी। जूना अखाड़े का यह शाही जुलूस गंगापार के रहिमापुर इलाके से शुरू होकर मेला क्षेत्र होता हुआ मौजगिरी मंदिर तक गया।
संतो के नगर आगमन पर कोई नमन कर रहा था तो कोई फूल चढ़ाकर अखाड़े के इन सन्यासियों का दर्शन करते हुए इनका आशीर्वाद ले रहा था। महाकुंभ क्षेत्र में जूना और किन्नर अखाड़े की पेशवाई 14 दिसंबर को होगी। जूना अखाड़े का यह शाही जुलूस गंगापार के रहिमापुर इलाके से शुरू होकर मेला क्षेत्र होता हुआ मौजगिरी मंदिर तक गया।