ये साल 1986 था, इस साल तक प्रयागराज में अतीक अहमद की गुंडई चरम पर पहुंच गई थी, शहर में कोई दूसरा उसको चुनौती देने वाला नहीं था। अतीक अहमद का गैंग जिस तरह से बढ़ रहा था, उसने राज्य सरकार और पुलिस को भी तंग कर रखा था। ऐसे में पुलिस ने अतीक को पकड़ने का जाल बिछाया।
अतीक को पुलिस ने कैसे उठाया, किसी को पता तक नहीं चला
चकिया मुहल्ले से अतीक को गिरफ्तार करना आसान नहीं था। पुलिस की टीमें उसकी ताक में थीं। एक दिन चुपचाप पुलिस की टीम अतीक को उठा ले गई। अतीक के परिजनों को उसकी गिरफ्तारी का पता चला। परिजन एक थाने से दूसरे थाने घूमते रहे, लेकिन पुलिस ने अतीक को उठाने से साफ इनकार कर दिया।
अतीक के परिजनों को न किसी थाने के रजिस्टर में कोई गिरफ्तारी दर्ज मिली, न ही अतीक को जेल भेजे जाने का कोई जिक्र। पुलिस ने अतीक को एक ऐसी जगह रखा था, जिसका पता थाने में बैठे उसके साथियों तक को नहीं था।
राज्य में उस वक्त कांग्रेस की सरकार थी और वीर बहादुर मुख्यमंत्री थे। वीर बहादुर की छवि सख्त सीएम की थी। अतीक के परिजन ये मान चुके थे कि उसका एनकाउंटर हो चुका है या कर दिया जाएगा। अब वो जिंदा वापस नहीं आएगा।
राज्य में उस वक्त कांग्रेस की सरकार थी और वीर बहादुर मुख्यमंत्री थे। वीर बहादुर की छवि सख्त सीएम की थी। अतीक के परिजन ये मान चुके थे कि उसका एनकाउंटर हो चुका है या कर दिया जाएगा। अब वो जिंदा वापस नहीं आएगा।
सांसद ने पुलिस से छुड़वाया था?
इलाहाबाद के लोग बताते हैं कि कांग्रेस के एक सांसद ने उस वक्त अतीक को बचाया था, जिनकी उस समय पीएमओ में अच्छी दखल थी। केंद्र में भी कांग्रेस की सरकार थी। उन्होंने दिल्ली से सीएम ऑफिस को फोन कराया। इसके बाद खबर इलाहाबाद पहुंची और पुलिस ने अतीक को छोड़ दिया।
अतीक छूट तो गया, लेकिन जिस तरह से उसके खिलाफ केस बढ़ रहे थे, उसपर गिरफ्तारी का खतरा मंडरा रहा था। अतीक के सिर पर एनकाउंटर का खतरा भी लगातार बढ़ता जा रहा था। अतीक को लगा कि जेल ही उसके लिए अब सुरक्षित जगह है।
इलाहाबाद के लोग बताते हैं कि कांग्रेस के एक सांसद ने उस वक्त अतीक को बचाया था, जिनकी उस समय पीएमओ में अच्छी दखल थी। केंद्र में भी कांग्रेस की सरकार थी। उन्होंने दिल्ली से सीएम ऑफिस को फोन कराया। इसके बाद खबर इलाहाबाद पहुंची और पुलिस ने अतीक को छोड़ दिया।
अतीक छूट तो गया, लेकिन जिस तरह से उसके खिलाफ केस बढ़ रहे थे, उसपर गिरफ्तारी का खतरा मंडरा रहा था। अतीक के सिर पर एनकाउंटर का खतरा भी लगातार बढ़ता जा रहा था। अतीक को लगा कि जेल ही उसके लिए अब सुरक्षित जगह है।
अतीक एक पुराने मामले में जमानत तुड़वाकर जेल चला गया। इसके बाद जेल से छूटा तो 1989 के यूपी विधानसभा के चुनाव सामने थे। अतीक ने इलाहाबाद पश्चिमी से निर्दलीय पर्चा भरा। नतीजे आए तो अतीक विधायक बन गया था और उसके बाद अतीक के प्रयागराज में दबदबे की कहानी, हम सब जानते ही हैं।
जेल से ही उमेश पाल की हत्या कराने का आरोप
उमेश पाल की हत्या शुक्रवार को प्रयागराज में उनके घर के सामने ही गोली मारकर कर दी गई। उमेश 2005 में मारे गए विधायक राजू पाल की हत्या के मुख्य गवाह थे। राजू पाल की हत्या का आरोप पूर्व सांसद अतीक अहमद पर है। अतीक पर जेल में बैठे-बैठे ये हत्या करा देने का आरोप उमेश के परिवार ने लगाया है।
जेल से ही उमेश पाल की हत्या कराने का आरोप
उमेश पाल की हत्या शुक्रवार को प्रयागराज में उनके घर के सामने ही गोली मारकर कर दी गई। उमेश 2005 में मारे गए विधायक राजू पाल की हत्या के मुख्य गवाह थे। राजू पाल की हत्या का आरोप पूर्व सांसद अतीक अहमद पर है। अतीक पर जेल में बैठे-बैठे ये हत्या करा देने का आरोप उमेश के परिवार ने लगाया है।
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उमेश की पत्नी जया की ओर से मामला दर्ज कराए जाने के बाद उमेश पाल के हत्यारोपियों की तलाश में लगातार पुलिस छापे मारी कर रही है। दूसरी तरफ अतीक को गुजरात की जेल से लाकर पूछताछ की तैयारी भी पुलिस कर रही है।