नवरात्रि के नव दिन श्रद्धालुओं की लगती है भीड़ माता के इस शक्तिपीठ के दर्शन के लिए वैसे तो सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन नवरात्रि के दिनों में यहां का महत्वा और भी बढ़ जाता है। क्योंकि नवरात्रि के नौ दिन मां की उपासना का दिन है, ऐसे में शक्तिपीठों के दर्शन-पूजन से विशेष लाभ प्राप्त होता है। मां की विशेष साधना के लिए भक्त दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में रोजाना माता का दिव्य श्रृंगार भी किया जाता है। सुबह करीब 5.30 बजे मंदिर के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए जाते हैं और पूरे विधि-विधान के साथ देवी की पूजा-अर्चना की जाती है और शाम 7.30 बजे मां की भव्य आरती की जाती है। मां के पवित्र मंदिर में प्रतिदिन सुबह-शाम सप्तचंडी का पाठ और पूजन किया जाता है। साथ ही हर माह अष्टमी तिथि को ललिता देवी का दर्शन-पूजन अत्यंत फलदायी माना जाता है। कुमकुम से अर्चन करने और गुड़हल का फूल अर्पित करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
पांच पांडव ने पानी पीने के लिए खोदे थे कुंवा वही मंदिर पुजारी शिवमूर्त मिश्र के अनुसार, इसका ताल्लुक महाभारत काल से भी माना जाता है । लाक्षागृह के दौरान पांडवों ने यहां पर आकर एक कुएं का निर्माण किया था जिसे पांडुकूप भी कहा जाता है। जो आज चारो ओर से जालियों से ढक दिया गया है साथ ही जो भी भक्त माता के दर्शन करने को आते है तो वो इस कूप का भी दर्शन करते है ।
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