जिसमें मंत्री नन्दी ने प्रदेश के विभिन्न जनपदों में बंद पड़ी सभी यार्न, स्पिनिंग और कताई मिलों के स्थिति, भूमि की मौजूदगी के साथ ही बकाया व देनदारी के बारे में विस्तृत जानकारी लेते हुए निस्तारण और भुगतान के निर्देश अधिकारियों को दिए। कहा कि सम्बंधित मिलों एवं कर्मचारियों से वार्ता कर एवं बकाए के भुगतान का प्रयास कर लम्बित मामलों का निस्तारण किया जाए। ताकि निष्प्रयोज्य साबित हो रही भूमियों का विभिन्न विभागों द्वारा औद्योगिक विकास या फिर अन्य विकसित योजनाओं के लिए इस्तेमाल किया जा सके। जिसके लिए मंत्री नन्दी नोडल अधिकारी की तैनाती कर मामलों का निस्तारण कराए जाने के निर्देश दिए।
समीक्षा बैठक में मंत्री नन्दी को बताया गया कि उत्तर प्रदेश स्टेट यार्न कम्पनी लिमिटेड कानपुर से सम्बद्ध बंद पड़ी मेजा, बांदा और रसड़ा (बलियां) यार्न मिल की 324.63 एकड़ भूमि, उत्तर प्रदेश स्पिनिंग कम्पनी लिमिटेड कानपुर से सम्बद्ध रायबरेली, बाराबंकी, मऊनाथ भंजन (मऊ) कताई मिल की 212.79 एकड़ भूमि, उत्तर प्रदेश राज्य वस्त्र निगम लिमिटेड कानपुर से सम्बद्ध झांसी, संडीला और मेरठ वस्त्र मिल की 221 एकड़ भूमि और उत्तर प्रदेश सहकारी कताई मिल्स संघ लिमिटेड से सम्बद्ध कम्पिल फर्रूखाबाद, बुलन्दशहर, फतेहपुर, बहेड़ी बरेली, अमरोहा, नगीना बिजनौर, बहादुरगंज गाजीपुर, मगहर संत कबीर नगर, महमूदाबाद सीतापुर और मउआईमा प्रयागराज की 705 एकड़ भूमि मिलों के बंद होने के कारण निष्प्रयोज्य साबित हो रही है। क्योंकि सभी कताई मिलों व यार्न मिलों की विभिन्न देनदारियां बकाया है। शासन की देनदारियों को छोड़ कर शेष देयता का भुगतान कर मिलों की भूमि, भवन एवं परिसम्पत्तियां उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीएसआईडीसी) को हस्तांतरित की जा सकती हैं।
जिस पर मंत्री नन्दी ने प्रदेश के सभी बंद पड़े मिलों के आंकड़ों की जानकारी इकट्ठा करने और विभिन्न देयों के साथ ही कर्मचारियों के बकाए की पूरी जानकारी मांगी। मंत्री नन्दी ने कहा कि बंद पड़ी मिलों की निष्प्रयोज्य साबित हो रही भूमि ही बहुत उपयोगी है। अगर निष्प्रयोज्य भूमि यूपीसीडा के साथ ही अन्य प्राधिकरणों या फिर विभागों को मिल जाए तो वह काफी उपयोगी साबित हो सकती है। कहा कि निष्प्रयोज्य भूमि को उपयोगी बनाने और वादों के साथ ही बकायों के निस्तारण के लिए नोडल अधिकारी की तैनाती की जाए जो मिलों से, कर्मचारियों से और बैंकों से वार्ता कर रास्ता निकाले और शासन की मदद से निष्प्रयोज्य भूमि को हासिल किया जा सके।
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