इस बार महाकुंभ बेहद खास है। महाकुंभ में 144 साल के बाद समुद्र मंथन के संयोग बन रहे हैं। शनि की कुंभ राशि एवं शुक्र तथा बृहस्पति के राशि परिवर्तन की स्थिति का यह संयोग 144 सालों के बाद बन रहा है। सूर्य, चंद्र और शनि तीनों ग्रह शनि की राशि मकर एवं कुंभ में गोचर कर रहे हैं। यह संयोग देवासुर संग्राम के समय निर्मित हुआ था। असुर गुरु शुक्र उच्च राशि में होकर बृहस्पति की राशि में तथा बृहस्पति शुक्र की राशि में हैं। इसके अलावा श्रवण नक्षत्र सिद्धि योग में सूर्य चंद्र की स्थिति तथा उच्च शुक्र एवं कुंभ राशि के शनि के कारण यह महाकुंभ परम योगकारी होगा।