scriptमहाकुंभ 2025: राजशाही अंदाज में पहुंचे संत, जूना अखाड़े के साधु-सन्यासियों ने किया नगर प्रवेश | Maha Kumbh 2025: Saints arrived with trident and sword in their hands, sadhus and saints of Juna Akhara entered the city | Patrika News
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महाकुंभ 2025: राजशाही अंदाज में पहुंचे संत, जूना अखाड़े के साधु-सन्यासियों ने किया नगर प्रवेश

Maha Kumbh 2025: महाकुंभ-2025 का आयोजन 13 जनवरी से प्रयागराज में होने जा रहा है, जो 26 फरवरी तक चलेगा। इसमें लाखों श्रद्धालु हिस्सा लेंगे। इसके आयोजन को लेकर तैयारियों का सिलसिला शुरू हो गया है। साधु-संत प्रयागराज की ओर रवाना हो रहे हैं।

प्रयागराजNov 03, 2024 / 04:58 pm

Aman Pandey

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Maha Kumbh 2025: जूना अखाड़ा और किन्नर अखाड़े के संतों ने आज राजशाही अंदाज में नगर प्रवेश किया। इस दौरान साधु-संत हाथों में तलवार, त्रिशूल और भाला लिए नजर आए। अंदावा स्थित रामापुर से शुरू हुई नगर प्रवेश यात्रा में सुसज्जित बग्घी, घोड़े और रथ आदि शामिल रहे। जगह जगह संतों का स्वागत किया गया। जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि के दिशा निर्देशन में नगर प्रवेश यात्रा रामापुर से शुरू होकर श्री मौजगिरि श्री पंच दशनाम तक पहुंची। 

साधु-संत अब संगम तट पर शुरू करेंगे जप-तप

अपर मेला अधिकारी विवेक चतुर्वेदी सहित पुलिस और प्रशासन के अन्य अफसरों ने माला पहनकर साधु-संतों का स्वागत किया। साधु-संत अब संगम तट पर जप-तप शुरू करेंगे। इसी बीच, योगानंद गिरी महाराज ने प्रयागराज में संतों के आगमन के महत्व को बताया। योगानंद गिरी महाराज ने कहा, महाकुंभ में किसी प्रकार का कोई विघ्न न आए और परेशानी न हो, इसलिए रविवार को श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े द्वारा शनिदेव, यमुना व धर्मराज का पूजन होगा।
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जानें क्या होता है नगर प्रवेश?

योगानंद गिरी महाराज ने कहा, “नगर प्रवेश का मतलब होता है कि जब आप किसी शुभ मुहूर्त में किसी नगर में प्रवेश करते हैं। वहां पड़ाव डालते हैं। पड़ाव डालकर हम लोग एक निश्चित समय तक रहेंगे। हमारे आगमन के बाद वहां पर कुंभ मेले की गतिविधियां शुरू हो जाएंगी, जिसमें अन्य श्रद्धालु भी हिस्सा लेंगे। इसे छावनी प्रवेश भी करते हैं। इस नगर प्रवेश में देशभर से हमारे संगठन से जृड़े साधु-संत हिस्सा ले रहे हैं। यह हमारे अखाड़े के लिए परम उत्साह का विषय है। इसमें हम सभी लोग भाग लेते हैं। हम लोग देवता को वहां तक पहुंचाते हैं। हम उनकी पूजा करते हैं। हमारे देवता वहां पर एक महीने तक निवास करते हैं। इसके बाद वहां पर निशान रखा जाता है। ”

पौष पूर्णिमा स्नान के साथ होती है महाकुंभ की शुरुआत

महाकुंभ की शुरुआत पौष पूर्णिमा स्नान के साथ होती है। महाशिवरात्रि के दिन 26 फरवरी 2024 को अंतिम स्नान के साथ कुंभ पर्व का समापन होगा।
महाकुंभ के आयोजन के पीछे एक पौराणिक कथा निहित है। बताया जाता है कि जब एक बार राक्षसों और देवताओं के बीच समुद्र मंथन हुआ था, तो इससे निकले रत्नों को आपस में बांटने का फैसला किया गया था। रत्न को दोनों ने आपस में बांट लिए, लेकिन अमृत को लेकर दोनों के बीच युद्ध छिड़ गया। ऐसी स्थिति में अमृत को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने अमृत का पात्र गरुड़ को दे दिया। राक्षसों ने जब देखा कि अमृत गरुड़ के पास है, तो उससे छीनने की कोशिश की है।
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12 साल पर लगता है महाकुंभ मेला

इसी दौरान, अमृत की कुछ बूंदे धरता पर चार जगहों पर गिर गईं। यह चार जगहें प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक है। इन चारों जगहों पर हर 12 साल के अंतराल में महाकुंभ मेले का आयोजन किया जाता है, इसमें दुनियाभर से श्रद्धालु आकर यहां हिस्सा लेते हैं। बताया जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान अमृत को पाने के लिए 12 दिनों तक युद्ध हुआ था। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, देवताओं के 1 दिन मनुष्य के 1 साल के समान है। इसी को देखते हुए हर 12 साल के अंतराल में महाकुंभ मेले का आयोजन किया जाता है।

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