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इस मौके पर प्रयागराज के संगम में सरस्वती की धारा की मान्यता की वजह से देश के कोने-कोने से स्नान करने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। श्रद्धालु त्रिवेणी के तट पर गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती की धारा में डुबकी लगाकर विद्या की देवी सरस्वती की आराधना कर उनसे ज्ञान व सदबुद्धि की कामना कर रहे। बसंत पंचमी के मौके पर प्रयागराज के संगम तट पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा है। सुबह से ही संगम की तरफ़ जाने वाला हर रास्ता श्रद्धालुओं की भीड़ से पटा पड़ा हुआ है। देश के कोने-कोने से आने वाले श्रद्धालु ज्ञान और विद्या की देवी सरस्वती की अदृश्य धारा और गंगा-यमुना के जल में डुबकी लगाकर पुण्य लाभ प्राप्त कर रहे हैं। श्रद्धालु इस मौके पर मोक्षदायिनी गंगा और ज्ञान की देवी सरस्वती से अपनी मनोकामनाये मांग रहे हैं। बसंत पंचमी पर युवा वर्ग सरस्वती की कृपा बनी रहने और गृहस्थ सदबुद्धि की कामना कर रहे हैं। संगम पर रात से ही बसंत पंचमी का स्नान शुरू हो गया है और पूरे दिन में करीब पचास लाख श्रद्धालुओं के डुबकी लगाने की उम्मीद है, वहीं दूसरी तरफ तमाम पंडालों में विद्या की देवी सरस्वती की पूजा और आरती कर उनसे आशीर्वाद लिया जा रहा है। पुराणों के मुताबिक बसंत पंचमी के दिन जहाँ परम पिता ब्रह्मा ने त्रिवेणी के इसी तट पर सृष्टि की रचना की थी तो वही ज्ञान की देवी सरस्वती भी आज ही के दिन प्रकट हुई थी। इसीलिए बसंत पंचमी पर पतित पावनी व मोक्ष दायिनी गंगा में डुबकी लगाने के साथ ही जगह-जगह सरस्वती को पूजे जाने की भी परम्परा है।
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