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पंडित जनेश्वर मिश्रा रेवती रमण सरीखे दिग्गज सपाइयों के गढ़ में जवाहर यादव ने अपनी पैठ कम समय में मजबूत बना ली थी। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव जिले की हर सभा में जवाहर का नाम लेते थे। उनके मंच पर जवाहर जरुर होते थे इसकी बदौलत जवाहर यादव 1993 के विधानसभा चुनाव में झूसी विधानसभा से सपा से उम्मीदवार बनाये गये। यहीं से विधायक चुने गए तेजतर्रार युवा नेता होने के चलते सपा के दिग्गज नेताओं के करीबी भी थे। जिसके चलते उनकी पहचान जल्द ही प्रदेश स्तर के नताओं के बीच हो गई।
जवाहर यादव अशोक नगर में अपने परिवार के साथ रहते थे। यहीं उनके भाई सुलाकी यादव जिनकी पहचान एक दबंग नेता के भाई की रही।इस हत्याकांड में सुलाकी ने ही करवरिया बंधुओ को आरोपी बनाया था।इन्ही की तहरीर पर मुकदमा दर्ज हुआ था। बताते हैं की जवाहर यादव की मां देवी माँ की बड़ी भक्त थी। अशोक नगर स्थित उनके पैतृक आवास पर देवी का पुराना मंदिर है। जिसमें 24 घंटे देसी घी का दिया जलता था। जवाहर सुबह- शाम कई घंटों पूजा करते थे। उनके मिलने वाले ऐसे समय में जाते थे की पूजा से पहले या पूजा के बाद जाएँ नही तो घंटों बैठना पड़ता था। मंदिर में पूजा की वजह से उनके करीबी उन्हें पंडित के नाम से पुकारते थे। धीरे-धीरे उनके नाम के साथ पंडित जुड़ गया । लोग उन्हें जवाहर यादव से ज्यादा जवाहर पंडित कहने लगे ।
कब हुई थी घटना
13 अगस्त 1996 को जवाहर यादव की एके 47 से गोली मारकर हत्या कर दी गई थी । इस मामले में विधायक जवाहर यादव के भाई सुलाकी यादव ने सिविल लाइंस थाने में मुकदमा दर्ज कराया था।इस मामले में पूर्व बसपा सांसद कपिल मुनि करवरिया, पूर्व भाजपा विधायक उदयभान करवरिया पूर्व एमएलसी सूरज भान करवरिया और रामचंद्र उर्फ कल्लू महाराज को अभियुक्त बनाया गया था। इस मामले में23 साल दो महीने 18 दिन बाद फैसला आया है ।