प्रयागराज

Allahabad High Court: कपिल मुनि करवरिया की याचिका की 31मार्च को होगी सुनवाई, हाईकोर्ट ने दिया हलफनामा दाखिल करने का आदेश

पूर्व सांसद कपिल मुनि करवरिया को प्रत्युत्तर हलफनामा दाखिल करने के लिए दो हफ्ते का अतिरिक्त समय दिया है। राज्य सरकार की तरफ से जवाबी हलफनामा दाखिल किया जा चुका है। जिसका याची की तरफ से जवाब दाखिल करने का समय मांगा गया। याचिका की सुनवाई अब 31मार्च को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता ने कपिल मुनि करवरिया की धारा 482 की अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग करने की मांग में दाखिल याचिका पर दिया है।

प्रयागराजMar 04, 2022 / 12:00 pm

Sumit Yadav

Allahabad High Court: कपिल मुनि करवरिया की याचिका की 31मार्च को होगी सुनवाई, हाईकोर्ट ने दिया हलफनामा दाखिल करने का आदेश

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कौशांबी जिला पंचायत अध्यक्ष रहते हुए नियुक्तियों में षड्यंत्र व भ्रष्टाचार के आरोप में दर्ज आपराधिक मामले में पूर्व सांसद कपिल मुनि करवरिया को प्रत्युत्तर हलफनामा दाखिल करने के लिए दो हफ्ते का अतिरिक्त समय दिया है। राज्य सरकार की तरफ से जवाबी हलफनामा दाखिल किया जा चुका है। जिसका याची की तरफ से जवाब दाखिल करने का समय मांगा गया। याचिका की सुनवाई अब 31मार्च को होगी।
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यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता ने कपिल मुनि करवरिया की धारा 482 की अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग करने की मांग में दाखिल याचिका पर दिया है। याची अधिवक्ता सुरेश चंद्र द्विवेदी ने कोर्ट से समय की मांग की। याचिका में स्वयं को बेकसूर बताते हुए पुलिस चार्जशीट व केस कार्यवाही को रद्द किए जाने की मांग की गई है। मालूम हो कि 2019 में जिला पंचायत में नियुक्तियों में धांधली की शिकायत की जांच कराई गई। षड्यंत्र व भ्रष्टाचार को लेकर दाखिल रिपोर्ट पर विशेष सचिव उ प्र ने एस पी कौशांबी को एफ आई आर दर्ज कर विवेचना करने का आदेश दिया।जिसपर मंझनपुर थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई। पुलिस ने वर्ष 2004-5 व 2009 में लिपिक भर्ती में षड्यंत्र व अनियमितता के आरोप में चार्जशीट दाखिल की।आरोप है कि करवरिया उस समय जिला पंचायत अध्यक्ष थे।
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इनकी अध्यक्षता में चयन समिति गठित हुई। जिसमें पंचायत सदस्य मधुपति,सुशीला देवी,श्रीपाल चयन समिति के सदस्य थे। इन लोगों की मिलीभगत से नियुक्तियां की गई। चार पदों के विरुद्ध 8लोगो की नियुक्ति की गई। अपने चहेतों को नौकरी पर रख लिया गया। नियुक्ति की सरकार से अनुमति भी नहीं ली गई। याची अधिवक्ता का कहना है कि नया जिला बना था । स्टाफ की जरूरत थी। नियमानुसार चयन समिति ने चयन किया और नियुक्ति की गई।आरोप निराधार है। आपराधिक कार्यवाही रद्द की जाय।

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