भारत मौसम विज्ञान विभाग यानी IMD के डीएस पई ने कहा, ‘हिंद महासागर के उत्तर पश्चिम में क्रॉस इक्वेटोरियल फ्लो या प्रवाह मजबूत होने लगा है।’ उन्होंने कहा, ‘अगले दो तीन दिनों में बंगाल की खाड़ी, अंडमान सागर औऱ अंडमान एंड निकोबार आईलैंड्स में मानसून के आगे बढ़ने के लिए स्थिति अनुकूल होती नजर आ रही है।’ उन्होंने संभावनाएं जताई हैं कि दक्षिण अरब सागर में मॉनसून को स्थापित होने में करीब एक सप्ताह का समय लगेगा।
आइए जानते हैं क्या कह रहे हैं जानकार?
डीएस पई का कहना है कि 4 जून के आसपास ही मानसून केरल पहुंच सकेगा। वहीं, शर्मा का कहना है कि केरल में मानसून पहुंचने को लेकर अनुकूल स्थितियां बन रही हैं। उन्होंने कहा कि मानसून की गतिविधियों में एक सप्ताह में काफी फर्क आया है। कहा जा रहा है कि क्रॉस-इक्वेटोरियल फ्लो जैसे कारणों के चलते हालात फिर मानसून के पक्ष में आ गए हैं। उन्होंने कहा, ‘केरल में मानसून आने में देरी की संभावनाएं कम हैं और अनुमानित तारीख 7 जून है।’
डीएस पई का कहना है कि 4 जून के आसपास ही मानसून केरल पहुंच सकेगा। वहीं, शर्मा का कहना है कि केरल में मानसून पहुंचने को लेकर अनुकूल स्थितियां बन रही हैं। उन्होंने कहा कि मानसून की गतिविधियों में एक सप्ताह में काफी फर्क आया है। कहा जा रहा है कि क्रॉस-इक्वेटोरियल फ्लो जैसे कारणों के चलते हालात फिर मानसून के पक्ष में आ गए हैं। उन्होंने कहा, ‘केरल में मानसून आने में देरी की संभावनाएं कम हैं और अनुमानित तारीख 7 जून है।’
30 मई तक जापान सागर से दूर जा सकता है ताइफून
IMD के शर्मा ने कहा, ‘फिलहाल पश्चिम प्रशांत में मौजूद ताइफून 30 मई तक जापान सागर से दूर जाने के आसार हैं। इससे केरल में मानसून के आने की स्थितियां तैयार होंगी।’ उन्होंने यह भी कहा कि ये ताइफून काफी दूर हैं और बंगाल की खाड़ी के ऊपर हवाओं की गतिविधियों को प्रभावित कर सकते हैं, जो मानसून के बहाव पर असर डालेगा। जानकारों का कहना है कि हिंद महासागर मानसून की हवाएं प्रभावित हो रही हैं, जिसके चलते केरल में मानसून आने में देर हो सकती है। उन्होंने कहा कि पूर्वानुमान के अनुसार, जून की शुरुआत में हवाएं फिर से तैयार होंगी और मॉनसून 5 से 7 जून के बीच केरल पहुंच सकता है।
IMD के शर्मा ने कहा, ‘फिलहाल पश्चिम प्रशांत में मौजूद ताइफून 30 मई तक जापान सागर से दूर जाने के आसार हैं। इससे केरल में मानसून के आने की स्थितियां तैयार होंगी।’ उन्होंने यह भी कहा कि ये ताइफून काफी दूर हैं और बंगाल की खाड़ी के ऊपर हवाओं की गतिविधियों को प्रभावित कर सकते हैं, जो मानसून के बहाव पर असर डालेगा। जानकारों का कहना है कि हिंद महासागर मानसून की हवाएं प्रभावित हो रही हैं, जिसके चलते केरल में मानसून आने में देर हो सकती है। उन्होंने कहा कि पूर्वानुमान के अनुसार, जून की शुरुआत में हवाएं फिर से तैयार होंगी और मॉनसून 5 से 7 जून के बीच केरल पहुंच सकता है।