ये भी पढ़ें- सीएम योगी को बच्ची ने दिया गुलाब का फूल, मांगी यह मदद जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा एवं जस्टिस अजित कुमार की बेंच ने प्रदेश में कोरोना के इलाज के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कोविड प्रबंधन के लिए प्रदेश सरकार की तारीफ की। अदालत ने प्रदेश सरकार के ओर से दी गयी रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लेते हुए हालाँकि कोई आदेश पारित नहीं किया और सुनवाई के लिए जून के दूसरे सप्ताह में कोई तारीख तय करने का निर्देश दिया।
ये भी पढ़ें- कोरोना दूसरी लहर के बीच सीएम योगी ने 26 दिनों में 40 जिलों का किया दौरा, जानी जमीनी हकीकत पहले लिए जा रहे थे अधिक पैसे- कुछ निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम द्वारा डायग्नोस्टिक टेस्ट के लिए अनर्गल पैसे वसूलने के सम्बन्ध में कतिपय शिकायतों का मुख्यमंत्री योगी ने स्वयं संज्ञान लिया था और सरकार की और से सभी टेस्ट की दरें निर्धारित कर दी थीं जिसका आम जनता ने बेहद स्वागत किया था। इस सम्बन्ध में अदालत ने इसका सकारात्मक संज्ञान लिया कि सरकार की ओर से आरटीपीसीआर की दर 500 रूपए से 900 रूपए के बीच, एंटीजन टेस्ट 200 रूपये, ट्रूनेट टेस्ट 1200 रूपए और सी टी स्कैन 2000 रूपए से 2500 रूपए के बीच निर्धारित की गयी हैं।